BY: Yoganand Shrivastva
भोपाल, श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज (SRIMSR) और उससे जुड़ी संस्था के खिलाफ सीबीआई की जांच गहराती जा रही है। हाल ही में, इस घोटाले में तीन डॉक्टरों सहित छह लोगों को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इन पर कॉलेज को मान्यता दिलवाने के बदले 55 लाख रुपये की अवैध डील करने का आरोप है।
इसके साथ ही रविशंकर महाराज, जिन्हें रावतपुरा सरकार के नाम से जाना जाता है, उनके खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है। वे SRIMSR के चेयरमैन हैं। यह पहली बार नहीं है जब उनका नाम विवादों में आया हो। उनसे जुड़ी अब तक की प्रमुख चार विवादित घटनाओं पर नज़र डालते हैं:
विवाद 1: ग्राम समाज की जमीन पर अवैध कब्जा
2024 के अंत में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई ग्रामीण क्षेत्रों में रावतपुरा सरकार ट्रस्ट के नाम पर ग्राम समाज की भूमि के रजिस्ट्री और लीज को लेकर विवाद सामने आया। आरोप यह भी लगे कि बिना अनुमति के निर्माण कार्य कराए गए और सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर कर भूमि को निजी संपत्ति घोषित कराया गया।
➡ ट्रस्ट का पक्ष: प्रशासनिक जांच जारी है, और ट्रस्ट सभी वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन कर रहा है।
विवाद 2: शिक्षा संस्थानों में नियमों की अनदेखी
रावतपुरा सरकार ट्रस्ट द्वारा संचालित कई स्कूल, कॉलेज, पॉलिटेक्निक व पैरामेडिकल संस्थानों पर मान्यता संबंधित एजेंसियों जैसे AICTE, NCTE की मंज़ूरी के बिना संचालन के आरोप हैं। छात्रों और पूर्व स्टाफ द्वारा कम वेतन, धार्मिक गतिविधियों में जबरन भागीदारी और प्रमाणपत्र रोकने जैसी शिकायतें सामने आई हैं।
➡ ट्रस्ट का पक्ष: ट्रस्ट ने आरोपों को खारिज करते हुए शिक्षा और संस्कृति के संतुलन की बात कही है।
विवाद 3: महिला अनुयायियों से दुर्व्यवहार
2023 में ग्वालियर में एक महिला अनुयायी ने आरोप लगाया था कि आश्रम में महिलाओं से ‘सेवा’ के नाम पर ज़बरदस्ती काम कराया जाता है, और उन्हें मानसिक प्रताड़ना दी जाती है। हालांकि पुलिस जांच में कोई ठोस चार्जशीट नहीं आई, लेकिन मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लेकर जांच के आदेश दिए।
विवाद 4: सत्ता के करीब होने के आरोप
रावतपुरा सरकार की निकटता विभिन्न राजनीतिक नेताओं, मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अक्सर चर्चा में रही है। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें पूर्व सीएम कमलनाथ, शिवराज सिंह चौहान, और सीएम मोहन यादव जैसे नेताओं के साथ वायरल हो चुकी हैं।
आलोचकों का कहना है कि उन्हें ट्रस्ट के कार्यों के लिए विशेष सरकारी सुविधाएं मिलीं—जैसे रोड कनेक्टिविटी, सब्सिडी और निर्माण की मंज़ूरी।
➡ समर्थकों का पक्ष: भक्तों का कहना है कि संत के खिलाफ यह साजिश है। ट्रस्ट ने गरीबों को मुफ्त शिक्षा, कोविड समय में ऑक्सीजन और अनाथ बच्चों की सेवा की है।
अब जानिए मेडिकल कॉलेज रिश्वतकांड की पूरी कहानी
CBI को जानकारी मिली थी कि NMC और स्वास्थ्य मंत्रालय के कुछ अधिकारी मेडिकल कॉलेजों की मान्यता के बदले रिश्वत ले रहे हैं। श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ एंड रिसर्च (SRIMSR) द्वारा की गई अप्लाई के दौरान टीम ने कॉलेज मैनेजमेंट से 55 लाख की रिश्वत मांगी।
30 जून को इंस्पेक्शन टीम पहुंची जिसमें शामिल थे:
- डॉ. मंजप्पा सीएन
- डॉ. सतीश
- डॉ. अशोक शेलके
- डॉ. चैत्रा एमएस
डॉ. मंजप्पा ने हवाला के ज़रिए पैसे जुटाने की योजना बनाई और सतीश को जिम्मेदारी सौंपी। CBI ने बेंगलुरु में ट्रैप बिछाया और 55 लाख रुपये नकद बरामद किए—जिसमें से ₹16.62 लाख डॉ. चैत्रा के पति से और ₹38.38 लाख सतीश से मिले।
1 जुलाई को सभी 6 आरोपियों को रायपुर से गिरफ्तार किया गया और 7 जुलाई तक CBI रिमांड पर भेजा गया।