REPORT- AZAD SAXENA, BY- ISA AHMAD
बैलाडिला क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश और कीचड़ भरे मैदान के बावजूद दशहरा पर्व का उल्लास फीका नहीं पड़ा। बैलाडिला फुटबॉल ग्राउंड में परंपरागत रावण दहन कार्यक्रम बड़े ही उत्साह और धूमधाम के साथ संपन्न हुआ। हज़ारों की संख्या में स्थानीय नागरिक और आसपास के ग्रामीण इस ऐतिहासिक आयोजन के गवाह बने।
दशकों पुरानी परंपरा
बैलाडिला एनएमडीसी क्षेत्र में वर्ष 1968 से लौह अयस्क उत्पादन की शुरुआत हुई थी। इसके बाद विभिन्न राज्यों से काम करने आए लोग यहां बसे और उन्होंने दशहरा पर्व मनाने की परंपरा शुरू की। तब से यह उत्सव हर वर्ष निरंतर मनाया जा रहा है। खासकर रावण दहन के दौरान होने वाली आतिशबाज़ी इसकी सबसे बड़ी आकर्षण रही है। इस नज़ारे को देखने के लिए आसपास के गाँवों से बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग भी पहुंचते हैं।
बारिश और अव्यवस्था से बढ़ी परेशानी
इस वर्ष लगातार हो रही बारिश और दलदली ज़मीन ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दीं। फुटबॉल ग्राउंड पूरी तरह कीचड़ से भर गया था। लोगों को कीचड़ से होकर गुजरना पड़ा, मानो किसी कैटवॉक रैंप पर चल रहे हों। दर्शक मैदान में खड़े होने की जगह भी मुश्किल से पा रहे थे। कीचड़ से सने कपड़े और गीले हालात के बावजूद लोगों के उत्साह में किसी प्रकार की कमी नहीं दिखाई दी।
एनएमडीसी की व्यवस्था पर नाराज़गी
इस बार कार्यक्रम स्थल पर उचित व्यवस्था न किए जाने से दर्शकों में नाराज़गी देखने को मिली। लोगों का कहना था कि हर वर्ष की तरह इस बार भी एनएमडीसी को मैदान की सफाई और उचित प्रबंधन करना चाहिए था। बारिश और कीचड़ की वजह से कई लोग असुविधा झेलते रहे।
उत्साह में नहीं आई कमी
अव्यवस्था और कठिन परिस्थितियों के बीच भी दशहरा पर्व का उत्साह लोगों में देखने लायक था। रावण दहन और रंग-बिरंगी आतिशबाज़ी ने लोगों का दिल जीत लिया। बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक सभी ने इस अनोखे नज़ारे का भरपूर आनंद उठाया।





