हर साल 11 मई को भारत राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाता है। यह दिन 1998 में पोखरण-परीक्षण की सफलता और भारत के तकनीकी विकास को समर्पित है। 2025 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के प्रयासों को सलाम किया।
Contents
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का महत्व
इस दिन को 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने घोषित किया था। इसका उद्देश्य:
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उपलब्धियों को सम्मान देना
- युवाओं को तकनीकी शिक्षा के लिए प्रेरित करना
- आत्मनिर्भर भारत के लिए नवाचार को बढ़ावा देना
2025 में मुख्य आयोजन
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वैज्ञानिकों के योगदान की सराहना की।
- डीआरडीओ, इसरो और सीएसआईआर जैसे संस्थानों ने नई तकनीकों का प्रदर्शन किया।
- स्कूलों और कॉलेजों में विज्ञान प्रदर्शनियाँ आयोजित की गईं।
भारत की प्रमुख तकनीकी उपलब्धियाँ
- पोखरण परीक्षण (1998) – भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाया।
- चंद्रयान और गगनयान मिशन – अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की सफलता।
- सेमीकंडक्टर और एआई में प्रगति – “आत्मनिर्भर भारत” की दिशा में कदम।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस कैसे मनाया जाता है?
- पुरस्कार वितरण: वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को सम्मानित किया जाता है।
- तकनीकी प्रदर्शनी: नवीनतम आविष्कारों को प्रदर्शित किया जाता है।
- विज्ञान कार्यशालाएँ: छात्रों को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रेरित किया जाता है।
संदर्भ स्रोत
- पीआईबी (Press Information Bureau) – https://pib.gov.in
- इसरो की आधिकारिक वेबसाइट – https://www.isro.gov.in
- डीआरडीओ अपडेट्स – https://www.drdo.gov.in
निष्कर्ष
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस भारत की वैज्ञानिक समृद्धि और तकनीकी स्वावलंबन का प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि नवाचार और अनुसंधान के बल पर ही भारत एक वैश्विक तकनीकी महाशक्ति बन सकता है।