दिल्ली: बीजेपी ने 26 साल बाद सत्ता में वापसी की है, और अब बारी है मुख्यमंत्री के चेहरे को चुनने की। इस रेस में सात प्रमुख नाम सबसे आगे हैं, जो पार्टी के लिए संभावित मुख्यमंत्री बन सकते हैं। आइए जानते हैं उन नामों के बारे में और उनकी दावेदारी की ताकत।
1. प्रवेश सिंह वर्मा: दिल्ली के प्रमुख जाट चेहरा
प्रवेश सिंह वर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं और पश्चिमी दिल्ली से लगातार दो बार सांसद रहे हैं। 2019 में उन्होंने 5.78 लाख वोटों से चुनाव जीता था, जो दिल्ली के इतिहास में सबसे बड़ी जीत थी। इस बार, उन्होंने नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल को 4099 वोटों से हराया।

क्यों हैं सीएम के रेस में?
- संघ से जुड़े हुए, वर्मा बचपन से ही पार्टी के एक सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं।
- दिल्ली की सुरक्षित सीट पर केजरीवाल को हराया है, और अब तक कोई चुनाव नहीं हारे हैं।
- बीजेपी को एक जाट सीएम की तलाश हो सकती है ताकि हरियाणा में नॉन-जाटों की नाराजगी को शांत किया जा सके और किसानों के मुद्दे पर भी रणनीतिक लाभ उठाया जा सके।
सीएम बनने में क्या बाधाएं हो सकती हैं?
- अगर बीजेपी इस बार किसी चौंकाने वाले नाम को चुनती है तो प्रवेश वर्मा को सीएम बनने का मौका मिलना मुश्किल हो सकता है।
- 2020 के दिल्ली दंगे में उनके विवादित बयान ने उन्हें कुछ आलोचनाओं का सामना किया।
- दिल्ली में पूर्वांचल वोटरों की संख्या अधिक है, और ऐसे में बीजेपी प्रवेश वर्मा को सीएम बनाकर उन्हें नाराज नहीं करना चाह सकती है।
2. मनोज तिवारी: पूर्वांचल का बड़ा चेहरा
मनोज तिवारी, भोजपुरी अभिनेता और सिंगर, उत्तर-पूर्वी दिल्ली से लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। 2016 से 2020 तक दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष रहे, और उनकी पहचान पूर्वांचल के बड़े नेता के रूप में बनी है। इस बार उन्हें फिर से लोकसभा चुनाव में टिकट मिला है, जबकि बाकी छह सांसदों के टिकट काट दिए गए थे।

क्यों हैं सीएम की रेस में?
- पूर्वांचल के वोटरों में उनकी जबरदस्त पकड़ है, और पीएम मोदी ने भी कई बार इस क्षेत्र का जिक्र किया।
- उनकी पहचान बिहार और पूर्वांचल के नेता के रूप में मजबूत है, और बीजेपी उन्हें मुख्यमंत्री बना सकती है, खासकर अगले कुछ महीनों में बिहार में होने वाले चुनावों के मद्देनजर।
3. मनजिंदर सिंह सिरसा: मजबूत पंजाबी सिख नेता
मनजिंदर सिंह सिरसा, शिरोमणि अकाली दल के सदस्य के रूप में दो बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। 2021 में उन्होंने अकाली दल छोड़कर बीजेपी जॉइन की और वर्तमान में वह दिल्ली में सिख समुदाय के प्रमुख नेता माने जाते हैं।

क्यों हैं सीएम की रेस में?
- सिरसा को सीएम बनाकर बीजेपी पंजाब में अपनी स्थिति और मजबूत कर सकती है, खासकर सिख समुदाय के बीच।
4. विजेंद्र गुप्ता: AAP लहर में भी कमल खिलाया
विजेंद्र गुप्ता रोहिणी से लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं और 2015 में दिल्ली विधानसभा में बीजेपी के तीन विधायक थे, उनमें से एक विजेंद्र गुप्ता थे। वह दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और संगठन में उनकी मजबूत पकड़ है।

क्यों हैं सीएम की रेस में?
- दिल्ली में बीजेपी के प्रमुख वैश्य चेहरा के रूप में उनकी पहचान है। पार्टी के अंदर उनके संगठनात्मक अनुभव को ध्यान में रखते हुए उन्हें सीएम की दौड़ में रखा जा सकता है।
5. मोहन सिंह बिष्ट: छठी बार विधायक बने
मोहन सिंह बिष्ट ने 1998 से 2015 तक लगातार चार बार विधानसभा चुनाव जीते। 2020 में उन्होंने फिर से विधानसभा सीट हासिल की और पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा को साबित किया। उनके पास पहाड़ी क्षेत्रों में अच्छा प्रभाव है।

क्यों हैं सीएम की रेस में?
- संघ और संगठन में उनकी मजबूत पकड़ और पहाड़ी क्षेत्रों में उनका प्रभाव उन्हें इस रेस में एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है।
6. वीरेंद्र सचदेवा: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष, संगठन में पकड़
वीरेंद्र सचदेवा दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। उन्होंने 2007 से 2009 तक चांदनी चौक और 2014 से 2017 तक मयूर विहार में बीजेपी के जिला अध्यक्ष के रूप में काम किया। 2023 में उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।

क्यों हैं सीएम की रेस में?
- पार्टी के अंदर उनकी संगठनात्मक स्थिति और कार्यकर्ता के रूप में उनका योगदान उन्हें सीएम पद के उम्मीदवार के रूप में स्थापित करता है।
इन सभी नामों के बीच अभी तक कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन ये उम्मीदवार बीजेपी के अंदर दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने के लिए सबसे आगे हैं।
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