इंदौर: नाबालिग और महिला से दुष्कर्म के मामले में जोधपुर जेल में सजा काट रहे संत आसाराम को हाल ही में स्वास्थ्य आधार पर सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली। जमानत मिलते ही वह मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित अपने आश्रम पहुंच गए हैं। यहाँ वह अपने समर्थकों के बीच प्रवचन दे रहे हैं, जिसमें रोजाना 1,000 से अधिक लोग शामिल हो रहे हैं। आश्रम में सख्त नियम लागू किए गए हैं—प्रवेश से पहले सभी श्रद्धालुओं से मोबाइल फोन, स्मार्ट वॉच और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जमा कराए जा रहे हैं ताकि कोई रिकॉर्डिंग या फोटो न हो सके।
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जमानत की शर्तों पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को जमानत देते समय साफ शर्तें दी थीं कि वह सार्वजनिक सभाओं से दूर रहेंगे और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे। हालांकि, इंदौर में उनके प्रवचन और समर्थकों से खुली मुलाकात ने इन शर्तों के उल्लंघन की आशंका को जन्म दिया है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस इस मामले की जाँच कर रही है कि क्या यह कोर्ट के आदेश का खुला उल्लंघन है। कुछ कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह सत्य साबित हुआ तो उनकी जमानत रद्द भी हो सकती है।
समर्थकों का उत्साह और विवाद
आसाराम के समर्थकों का कहना है कि वह एक संत हैं और उनके प्रवचन से लोगों को मानसिक शांति मिलती है। दूसरी ओर, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पीड़ित पक्ष के वकीलों ने इस पर कड़ा विरोध जताया है। उनका तर्क है कि एक दोषी व्यक्ति का इस तरह खुलेआम सभाएँ करना समाज में गलत संदेश देता है। इंदौर के नागरिक भी इस मुद्दे पर बँटे हुए हैं—कुछ इसे धार्मिक स्वतंत्रता मानते हैं, तो कुछ इसे कानून का मखौल।
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