प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन दौरे के बाद अब मालदीव की दो दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए हैं। यह उनकी तीसरी आधिकारिक मालदीव यात्रा है, जिसमें वे मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के न्योते पर पहुंचे हैं।
इस यात्रा का प्रमुख उद्देश्य भारत-मालदीव संबंधों को फिर से मजबूती देना, रणनीतिक साझेदारी बढ़ाना और हिंद महासागर में भारत की भूमिका को और प्रभावी बनाना है।
स्वतंत्रता दिवस समारोह में होंगे मुख्य अतिथि
- पीएम मोदी 26 जुलाई को मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।
- यह भारत और मालदीव के बीच राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ का भी प्रतीक है।
- राष्ट्रपति मुइज्जू के कार्यभार संभालने के बाद यह पहली विदेशी नेता की आधिकारिक यात्रा है।
डिफेंस और रणनीतिक साझेदारी पर फोकस
इस दौरे के दौरान भारत और मालदीव के बीच कई रणनीतिक और डिफेंस समझौतों पर हस्ताक्षर की संभावना है। यह सहयोग भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ और SAGAR विजन (Security and Growth for All in the Region) के तहत होगा।
संभावित क्षेत्रों में साझेदारी:
- रक्षा सहयोग (Defence Cooperation)
- समुद्री निगरानी और सुरक्षा
- डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर
- नवीकरणीय ऊर्जा और मत्स्य पालन
- फ्री ट्रेड एग्रीमेंट
भारत की मदद से शुरू होंगे कई विकास प्रोजेक्ट
पीएम मोदी इस यात्रा में भारत की मदद से तैयार हुए कुछ विकास परियोजनाओं का उद्घाटन भी कर सकते हैं। इससे मालदीव में भारत की विकास भागीदारी को और मजबूती मिलेगी।
भारत-मालदीव संबंधों में सुधार की पृष्ठभूमि
बीते कुछ सालों में दोनों देशों के संबंध काफी उतार-चढ़ाव से गुजरे हैं:
- 2022–23 में ‘इंडिया आउट’ कैंपेन के चलते रिश्तों में तनाव आया।
- दिसंबर 2023 में COP-28 सम्मेलन में पीएम मोदी और मुइज्जू की मुलाकात के बाद से रिश्ते सुधरने लगे।
- 2024 में मालदीव मंत्रियों की विवादित टिप्पणियों के बाद भारत में ‘बायकॉट मालदीव’ अभियान चला।
- मुइज्जू की चीन यात्रा और भारत से सैनिकों की वापसी की मांग ने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया।
राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता के लिए अहम यात्रा
हालांकि, अक्टूबर 2024 में मुइज्जू की भारत यात्रा और उसके बाद की आर्थिक सहायता ने रिश्तों को नया आयाम दिया:
- 750 मिलियन डॉलर की करेंसी स्वैप डील
- 50 मिलियन डॉलर का ट्रेजरी बिल रोल ओवर
- डिजिटल भुगतान प्रणाली (जैसे UPI) को बढ़ावा
भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री के अनुसार, यह दौरा दोनों देशों के संबंधों को स्थायी रूप से मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा।
चीन के प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति
मालदीव में चीन की बढ़ती मौजूदगी और मुइज्जू की नीतियां भारत के लिए चिंता का विषय रही हैं। यह यात्रा चीन के प्रभाव को संतुलित करने और INS जटायु जैसे रणनीतिक ठिकानों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है।
पर्यटन और सांस्कृतिक रिश्तों को नई ऊर्जा
- ‘इंडिया आउट’ और ‘बायकॉट मालदीव’ जैसे अभियानों से भारतीय पर्यटकों की संख्या में गिरावट आई थी।
- इस दौरे से दोनों देशों के बीच पर्यटन और सांस्कृतिक सहयोग को नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद है।
इतिहास में भी रही है मुख्य अतिथि परंपरा
इससे पहले भी मालदीव के स्वतंत्रता दिवस पर दक्षिण एशियाई नेताओं को मुख्य अतिथि बनाया गया है:
- 2015: श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना
- 2017: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ
भारत-मालदीव संबंधों का नया अध्याय
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा न केवल राजनयिक रिश्तों को मजबूती देगा, बल्कि आर्थिक, डिजिटल और रक्षा क्षेत्रों में सहयोग की नई दिशा भी तय करेगा। यह यात्रा मालदीव के साथ भारत के भविष्य के संबंधों की नींव रखने जा रही है — सामरिक संतुलन, क्षेत्रीय स्थिरता और पड़ोसी देशों से जुड़ाव के दृष्टिकोण से यह बेहद महत्वपूर्ण कदम है।