रिपोर्ट- रुपेश सोनी, हजारीबाग
झारखंड के हजारीबाग जिले के चौपारण प्रखंड स्थित ग्राम तेतरिया (पंचायत चैथी) में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) से जुड़ी एक बड़ी लापरवाही सामने आई है।
जहां एक ओर सरकार गरीबों को सस्ती दर पर अनाज देने के लिए योजनाएं चला रही है, वहीं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर कुछ डीलर सिस्टम का दुरुपयोग कर रहे हैं।
यह मामला सिर्फ राशन चोरी का नहीं है। यह गरीबों के हक पर सीधा डाका है।
क्या है पूरा मामला?
ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि स्थानीय पीडीएस डीलर रवि वर्णवाल ने जून और जुलाई महीने का राशन हड़प लिया।
- ऑनलाइन पोर्टल पर राशन वितरण की रसीद काट दी गई
- लेकिन हकदार लाभुकों को चावल नहीं मिला
- विरोध करने पर लोगों को डांटकर भगा दिया गया
इससे नाराज ग्रामीणों ने प्राथमिक विद्यालय तेतरिया में एकत्र होकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया।

जांच में क्या निकला सामने?
शिकायत के बाद प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी भूपनाथ मौके पर पहुंचे और जांच की।
रिपोर्ट में पाया गया कि—
- 40 से अधिक लाभुकों से अंगूठा लगवाया गया
- लेकिन उन्हें राशन दिया ही नहीं गया
यानी, पूरा काम कागजों पर हो गया लेकिन हकीकत में गरीबों को खाली हाथ लौटा दिया गया।
ग्राम मुखिया ने भी माना आरोप सही
पंचायत चैथी के मुखिया उपेंद्र यादव ने भी ग्रामीणों की बातों को सही ठहराया।
उनका कहना है:
“यह सिर्फ अनाज की चोरी नहीं, बल्कि सरकारी योजना की आत्मा के साथ धोखा है।“
ग्रामीणों की मांग है कि—
- दोषी डीलर को बर्खास्त किया जाए
- और उसकी जगह नए, ईमानदार डीलर की नियुक्ति हो

लाभुकों की पीड़ा: क्या बोले ग्रामीण?
मोहम्मद तसलीम, लाभुक:
“हमने अंगूठा भी लगाया, लेकिन चावल नहीं मिला। बोलते हैं, सिस्टम में दिख रहा है कि मिल गया!”
इंतेखार, स्थानीय ग्रामीण:
“डीलर लोगों को बेइज्जत करके भगा देता है। सरकार को ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”
सरकार ने क्यों शुरू की थी पीडीएस योजना?
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का उद्देश्य था:
- गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन यापन कर रहे परिवारों को उचित मूल्य पर अनाज मुहैया कराना
- भुखमरी की समस्या को कम करना
- जरूरतमंदों को सुरक्षित और सुलभ खाद्य आपूर्ति देना
झारखंड में कितने हैं पीडीएस लाभार्थी?
- राज्य में करीब 2.63 करोड़ लोग PDS के लाभार्थी हैं
- जिनमें से बड़ी संख्या ग्रामीण क्षेत्रों से आती है
- इन्हें हर महीने चावल, गेहूं, चीनी, नमक जैसे ज़रूरी सामान सब्सिडी रेट पर मिलते हैं
लेकिन जब सिस्टम ही भ्रष्ट हो जाए…
जब डीलर जैसे लोग सिस्टम का फायदा उठाकर गरीबों का राशन खा जाएं, तो सवाल उठता है:
- क्या सिर्फ जांच और रिपोर्ट से समाधान होगा?
- कब तक ऐसे डीलर गरीबों का हक मारते रहेंगे?
ग्रामीणों की चेतावनी: कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन होगा
ग्रामीणों ने प्रशासन को चेताया है:
“अगर दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो हम पंचायत स्तर से लेकर जिला मुख्यालय तक आंदोलन करेंगे।”
क्या होनी चाहिए अगली कार्रवाई?
- डीलर की तत्काल बर्खास्तगी
- एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई
- डिजिटल वितरण प्रणाली की सख्त निगरानी
- प्रत्येक लाभुक को SMS से जानकारी देना — कब, कितना राशन मिला
सरकारी योजनाएं तभी सफल होंगी, जब उनका लाभ वाकई ज़रूरतमंदों तक पहुंचे।
वरना यह सिर्फ कागज़ों की तरक्की बनकर रह जाएगी।