BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर एक भावुक पोस्ट साझा करते हुए लिखा, “मैं मरना चाहता हूं मेरे दोस्तों। मैंने अपने देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाया है, और अब मुझे विश्राम की आवश्यकता है।” काटजू के इस बयान ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है।
लोगों के मन में उठे सवाल
मार्कंडेय काटजू सोशल मीडिया पर हमेशा सक्रिय रहते हैं और अपने बेबाक, कई बार मजाकिया टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं। इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर लोग हैरान हैं कि क्या यह उनके चिर-परिचित मजाकिया अंदाज का हिस्सा है या वह वाकई इस समय गहरी भावनाओं से गुजर रहे हैं। कई यूजर्स ने चिंता व्यक्त करते हुए उनके स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति के बारे में पूछताछ भी की है।
मार्कंडेय काटजू: एक परिचय
मार्कंडेय काटजू का जन्म 20 सितंबर 1946 को लखनऊ में हुआ था। उनके परिवार का न्यायपालिका और राजनीति में गहरा प्रभाव रहा है। उनके पिता शिव नाथ काटजू इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज थे, जबकि उनके दादा कैलाश नाथ काटजू मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और पश्चिम बंगाल व ओडिशा के राज्यपाल रह चुके हैं।
काटजू ने 1970 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत की शुरुआत की थी। बाद में वह इलाहाबाद हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने और फिर मद्रास हाई कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का दायित्व संभाला।
2006 में उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त किया गया। न्यायालय में अपने कार्यकाल के दौरान वे अपने तेज फैसलों के लिए जाने गए और सप्ताह में सौ से भी अधिक मामले निपटाने की क्षमता का प्रदर्शन किया।
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया का कार्यकाल
2011 से 2014 तक काटजू भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष रहे। इस दौरान भी वे अपने बेबाक बयानों के चलते चर्चा में बने रहे। एक बार उन्होंने विवादास्पद टिप्पणी करते हुए कहा था कि “90% भारतीय मूर्ख हैं, जो धर्म और जाति के नाम पर आसानी से बहक जाते हैं।” उनके इस बयान की काफी आलोचना भी हुई थी।
सोशल मीडिया पर विशेष सक्रियता
काटजू अक्सर सोशल मीडिया पर समसामयिक मुद्दों पर टिप्पणी करते हैं और कई बार अपने व्यंग्यपूर्ण पोस्ट के कारण भी सुर्खियां बटोरते हैं। हालाँकि, इस बार उनके शब्दों ने लोगों के बीच चिंता बढ़ा दी है।
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