भारत-अमेरिका व्यापार समझौता, कृषि उत्पाद पर गतिरोध जारी
BY: VIJAY NANDAN
दूध भारतीय घरों में पोषण का एक अहम हिस्सा है। बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक सभी के लिए यह कैल्शियम, प्रोटीन और जरूरी विटामिन्स का प्रमुख स्रोत है। भारत न सिर्फ दूध पीने में नंबर 1 है, बल्कि 2023-24 में 239.30 मिलियन टन दूध उत्पादन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश भी है।
लेकिन हाल ही में अमेरिका से आया एक प्रस्ताव भारत में हड़कंप मचा गया — “नॉन-वेज दूध” बेचने का प्रस्ताव। जी हां, आपने सही पढ़ा। आइए जानते हैं, आखिर क्या है यह नॉन-वेज दूध, क्यों यह विवादों में है और भारत ने इसे साफ तौर पर ठुकरा क्यों दिया।
पूरा मामला क्या है?
भारत और अमेरिका के बीच एक 500 बिलियन डॉलर की व्यापारिक डील पर बातचीत चल रही है। इस डील के तहत अमेरिका चाहता है कि वो अपने डेयरी प्रोडक्ट्स भारत में एक्सपोर्ट कर सके — जिसमें एक खास प्रोडक्ट है “नॉन-वेज मिल्क”।
भारत का स्पष्ट रुख
भारत सरकार ने इस प्रस्ताव को सख्ती से खारिज कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार ने इसे देश की सांस्कृतिक और नैतिक मान्यताओं के खिलाफ बताया है। सरकार ने यह भी कहा कि:
- स्थानीय किसानों की सुरक्षा
- दूध उत्पादन से जुड़े लोगों का हित
- उपभोक्ताओं के विश्वास और स्वास्थ्य
इनमें किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।
क्या होता है ‘नॉन-वेज दूध’?
“नॉन-वेज दूध” नाम सुनते ही दिमाग में यही आता है कि यह दूध शायद मांस से बनता है। लेकिन असल में ऐसा नहीं है।
यह दूध उन मवेशियों से प्राप्त होता है जिन्हें मांस, खून और अन्य पशु-आधारित चारा खिलाया जाता है। यानी इन जानवरों को शुद्ध शाकाहारी चारा नहीं बल्कि मांसाहारी आहार दिया जाता है ताकि वे ज्यादा दूध दें।

अमेरिका में जानवरों को क्या खिलाया जाता है?
एक रिपोर्ट के अनुसार
अमेरिकी मवेशियों को मांस, हड्डियों और खून से बना चारा दिया जाता है।
इसमें सुअर, घोड़े, मछली, चिकन, कुत्ते और बिल्लियों का मांस होता है।
उन्हें मोटा करने के लिए पशु चर्बी भी दी जाती है।
इससे जानवरों की दूध उत्पादन क्षमता बढ़ती है, लेकिन भारत जैसे देश में यह तरीका अस्वीकार्य है।
क्या होता है ब्लड मील?
ब्लड मील एक तरह का प्रोटीन युक्त चारा होता है जो जानवरों के खून से बनता है।
ब्लड मील बनाने की प्रक्रिया
पहले जानवरों को मारकर उनका खून इकट्ठा किया जाता है।
फिर उसे सुखाकर पाउडर बनाया जाता है।
इस पाउडर को मवेशियों के चारे में मिलाया जाता है।
यह सुनने में जितना अजीब लगता है, वास्तव में यह उतना ही सच है — और कई देशों में आम तौर पर इस्तेमाल होता है।
कहां-कहां होता है ऐसा?
सिर्फ अमेरिका ही नहीं, ब्राजील, मेक्सिको, रूस और यूरोप के कुछ हिस्सों में भी ऐसा दूध उत्पादन किया जाता है।
भारत में हजारों लाखों वर्षों से सनातन परंपरा के अनुसार प्रकृति प्रदत्त वनस्पति खिलाकर मवेशियों को पाला जाता है
- सूखा भूसा
- हरा चारा
- मक्का
- चोकर
- तेलखली जैसे शाकाहारी आहार
यह भारतीय संस्कृति और शुद्ध शाकाहारी जीवनशैली के अनुरूप है।
भारत ने क्यों किया इनकार?
भारत का विरोध सिर्फ धार्मिक या सांस्कृतिक आधार पर नहीं है। इसके पीछे कई और मजबूत वजहें हैं:
- उपभोक्ताओं का विश्वास बनाए रखना
- छोटे किसानों और डेयरी व्यवसायों की रक्षा
- स्वास्थ्य और नैतिकता की चिंता
भले ही अमेरिका दबाव बना रहा हो, भारत का रुख स्पष्ट है। संस्कृति और आस्था के साथ कोई समझौता नहीं होगा।
अंत में एक सवाल: क्या आप जानते हैं कि आपका खाना कहां से आता है?
यह मुद्दा हमें सोचने पर मजबूर करता है कि हम जो खाते हैं, वह कैसे बनता है?
भारत में दूध सिर्फ एक पेय नहीं, यह परंपरा, आस्था और पोषण का प्रतीक है।
ऐसे में नॉन-वेज दूध का विचार अधिकांश भारतीयों के लिए पूरी तरह अस्वीकार्य है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या नॉन-वेज दूध मांस से बनता है?
उत्तर: नहीं, यह दूध सीधे मांस से नहीं बनता, बल्कि ऐसे जानवरों से प्राप्त होता है जिन्हें मांसाहारी चारा दिया गया हो।
क्या यह दूध भारत में कानूनी है?
उत्तर: नहीं, भारत सरकार ने ऐसे दूध के आयात को स्पष्ट रूप से मना कर दिया है।
यह इतना विवादास्पद क्यों है?
उत्तर: क्योंकि यह भारतीयों की धार्मिक मान्यताओं, खाद्य आदतों और स्वास्थ्य सुरक्षा के खिलाफ है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। यह किसी चिकित्सा या पोषण सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह लें।