BY: MOHIT JAIN
दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार 2025 का ऐलान शुक्रवार को नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में किया गया। इस बार का पुरस्कार मारिया कोरिना मचाडो को दिया गया, जिससे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उम्मीदें ध्वस्त हो गईं।

नोबेल शांति पुरस्कार उन व्यक्तियों या संस्थाओं को दिया जाता है, जो शांति, मानवाधिकार और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने में योगदान देते हैं। नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी के नियमों के अनुसार यह पुरस्कार अक्सर उन लोगों या संगठनों को मिलता है, जो लंबे समय से शांति और मानवता के लिए काम कर रहे हों।

इस साल ट्रंप काफी बेचैन नजर आए थे और उन्होंने अपनी विदेश नीति की उपलब्धियों, विशेषकर शांति समझौतों पर जोर दिया था। लेकिन नोबेल विशेषज्ञों का मानना था कि ट्रंप की जीत की संभावना बहुत कम थी।
इस साल नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कई नामों की चर्चा थी, जिनमें शामिल थे:
- सूडान की इमरजेंसी रिस्पॉन्स रूम्स, जो गृहयुद्ध के दौरान मानवीय सहायता प्रदान करता है।
- इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस और इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट, जो वैश्विक न्याय और शांति के लिए काम करती हैं।
- कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स, जो प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
पिछले साल 2024 में नोबेल शांति पुरस्कार जापान की संस्था निहोन हिदानक्यो को दिया गया था, जो परमाणु हथियारों के खिलाफ दशकों से काम कर रही है।
नोबेल शांति पुरस्कार दुनिया के सबसे बड़े पुरस्कारों में से एक है। बाकी नोबेल पुरस्कार (चिकित्सा, भौतिकी, रसायन और साहित्य) स्टॉकहोम, स्वीडन में दिए जाते हैं, लेकिन शांति पुरस्कार का ऐलान और समारोह ओस्लो में आयोजित होता है।





