केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने फास्टैग (FASTag) को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने एक नया फास्टैग आधारित सालाना पास लॉन्च किया है, जो खासकर नेशनल हाईवे पर बार-बार सफर करने वाले यात्रियों के लिए बनाया गया है। यह पास 15 अगस्त 2025 से लागू होगा और इसके जरिए यात्रियों को टोल टैक्स में बड़ी राहत मिलेगी।
Important Announcement 📢
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) June 18, 2025
🔹In a transformative step towards hassle-free highway travel, we are introducing a FASTag-based Annual Pass priced at ₹3,000, effective from 15th August 2025. Valid for one year from the date of activation or up to 200 trips—whichever comes…
क्या है FASTag सालाना पास?
- पास का नाम: FASTag Based Annual Pass
- लॉन्च की तारीख: 15 अगस्त 2025
- कीमत: ₹3,000
- मान्यता:
- एक साल तक वैध
- या अधिकतम 200 यात्राओं तक (जो पहले हो)
- किन वाहनों के लिए:
- निजी
- गैर-व्यावसायिक वाहन (जैसे कार, जीप, वैन)
पास को कैसे एक्टिवेट करें?
उपयोगकर्ता इस पास को निम्न माध्यमों से सक्रिय और नवीनीकृत कर सकेंगे:
- नेशनल हाईवे ऐप (National Highway App)
- NHAI और MoRTH की आधिकारिक वेबसाइट्स
- एक स्पेशल सेक्शन के जरिए आसानी से प्रक्रिया पूरी की जा सकेगी।
किसे मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा?
यह पास मुख्य रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो:
- किसी टोल प्लाजा के 60 किलोमीटर के दायरे में रहते हैं।
- बार-बार एक ही टोल से गुजरते हैं।
- उन्हें बार-बार टोल फीस का भुगतान करना पड़ता है।
मौजूदा मंथली पास बनाम नया सालाना पास:
मापदंड | मंथली पास | सालाना पास |
---|---|---|
कीमत | ₹340 प्रति माह | ₹3,000 प्रति वर्ष |
कुल सालाना खर्च | ₹4,080 | ₹3,000 |
दस्तावेज़ की जरूरत | हां (एड्रेस प्रूफ आदि) | हां |
सफर की सीमा | अनलिमिटेड (एक टोल) | 200 यात्राएं (सभी टोल्स पर) |
सरकार का उद्देश्य क्या है?
सरकार इस सालाना पास से कई लक्ष्यों को साधना चाहती है:
- टोल प्लाजा पर भीड़ कम करना
- झगड़ों और विवादों को खत्म करना
- निजी वाहनों की तेज़ और सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करना
- डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना
- आधुनिक राष्ट्रीय राजमार्ग ग्रिड तैयार करना
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नितिन गडकरी की यह पहल उन लाखों यात्रियों के लिए राहत लाएगी जो रोज़ हाईवे से सफर करते हैं। सालाना फास्टैग पास के ज़रिए न सिर्फ पैसे की बचत होगी, बल्कि सफर भी ज़्यादा सुविधाजनक होगा। यह कदम भारत की सड़क परिवहन व्यवस्था को और अधिक डिजिटल, पारदर्शी और सुगम बनाने की दिशा में एक अहम पड़ाव साबित हो सकता है।