जहां बंदूकें संविधान पर भारी पड़ती हैं
यह कहानी सिर्फ एक गैंगस्टर की नहीं है —
यह खून, सत्ता और राजनीति की गठजोड़ से लिखी गई वो दास्तान है,
जहां अदालतें चुप थीं और डर के साये में लोकतंत्र पल रहा था।
मुख्तार अंसारी — नाम नहीं, एक दहशत था।
पूर्वांचल का वो चेहरा, जिसकी आंखों में कानून का खौफ नहीं, सत्ता पर कब्जे का सपना पलता था।
🧬 1. विरासत से विद्रोह तक: दो अंसारी, दो रास्ते
दादा – डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी, कांग्रेस के दिग्गज नेता, आजादी के सिपाही, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति।
पोता – मुख्तार अंसारी, उत्तर प्रदेश का मोस्ट वॉन्टेड अपराधी, विधायक, और गैंगवार का बादशाह।
“एक ने आज़ादी दिलाई, दूसरे ने खौफ का किला खड़ा किया।”
बचपन पढ़ाई से शुरू हुआ, पर कॉलेज से निकलते-निकलते ठेकेदारी, रंगदारी और अपराध की पाठशाला खुल चुकी थी।
🔫 2. गैंगस्टर बनने की कहानी: मऊ के गली-गली में गूंजता था नाम
⚔️ शुरुआत – 1980 का दशक
- रेलवे, पीडब्ल्यूडी और निर्माण कार्यों के ठेके
- वसूली के धंधे से गैंग बनाना शुरू
- 1990 तक आते-आते बना “मऊ का डॉन”
💥 जब पूर्वांचल बना रणभूमि
- ब्रजेश सिंह से गैंगवार
- दोनों पक्षों के दर्जनों लोग मारे गए
- गोलियों की आवाजें, बमों के धमाके और लाशों की सियासत
“मुख्तार की गाड़ी कभी ट्रैफिक से नहीं, डर से रुकती थी।”
⚖️ 3. केसों का पुलिंदा: खून से रंगे पन्ने
मुख्तार अंसारी पर अब तक 60+ केस दर्ज हो चुके हैं।
इनमें हत्या, अपहरण, रंगदारी, गैंगस्टर एक्ट, आर्म्स एक्ट, दंगा भड़काना – हर जुर्म मौजूद है।
📌 चर्चित केस:
- कृष्णानंद राय हत्याकांड (2005): भाजपा विधायक पर AK-47 से हमला, मुख्तार पर मुख्य आरोप
- गैंगस्टर एक्ट, मऊ दंगा 2005, गोपालजी हत्याकांड
- कई बार जेल, कई बार कोर्ट से राहत
“वो अदालत में नहीं डरता था… वो जेल में भी राजा था।”
🏛️ 4. राजनीति में प्रवेश: डॉन बना माननीय
🎫 1996 – BSP का टिकट, पहली बार विधायक बना
🔁 लगातार 5 बार मऊ से विधायक
मुख्तार ने वोट की राजनीति को डर की राजनीति से जोड़ा।
- जनता को अस्पताल, गरीबों को राशन, छात्रों को कॉलेज
- पुलिस को चुनौती, और अफसरों को ‘मैनेज’ करने की कला
“वो कहता था – मेरी अदालत मऊ की सड़कों पर लगती है।”
🤝 5. राजनीतिक गठजोड़: जहां सत्ता झुकती थी डॉन के आगे
- BSP बार-बार टिकट देती रही
- सपा सरकार में नर्मी, सरकारी संरक्षण
- भाई अफजाल अंसारी – गाज़ीपुर से सांसद
📌 गठजोड़ के फायदे:
- पुलिस हाथ नहीं डालती थी
- जेल में रहते हुए भी फोन, लेपटॉप, हर सुविधा
- जेल से चुनाव जीतना एक आम बात बन चुकी थी
🚓 6. योगी सरकार में शिकंजा: जब कानून ने कमर कसी
2017 के बाद से स्थिति पलटी।
“अब डरने की बारी डॉन की थी।”
🔨 कार्रवाई:
- संपत्ति कुर्क
- हॉस्पिटल, कॉलेज सील
- बेटे अब्बास पर भी केस
- मुख्तार को गैंगस्टर एक्ट में 10 साल की सजा
2021 में पंजाब से यूपी लाया गया –
बांदा जेल बना उसका नया अड्डा, लेकिन इस बार उसे गद्दी नहीं, फर्श मिला।
🏁 7. निष्कर्ष: जब राजनीति जुर्म के आगे घुटने टेक दे
मुख्तार अंसारी की कहानी बताती है कि
जब कानून का डर खत्म होता है, तब कोई माफिया नेता बनता है।
- जनता डरी हुई थी,
- नेता मिल चुके थे,
- और पुलिस मौन थी।
लेकिन अब सत्ता बदल चुकी है।
गैंगस्टर की गाथा अब केस डायरी बन चुकी है।
“जिन गलियों में डर बिकता था, आज वहां कानून की आवाज गूंज रही है।”