BY: Yoganand Shrivastva
अफगानिस्तान से एक बेहद चौंकाने और झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। हेलमंद प्रांत में महज 6 साल की बच्ची की शादी 45 वर्षीय व्यक्ति से कर दी गई। इस विवाह की तस्वीरें जब सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सामने आईं, तो खुद तालिबान के अधिकारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा। हालांकि, उन्होंने विवाह को रद्द नहीं किया, बल्कि कहा कि जब लड़की 9 साल की हो जाएगी तब उसे ससुराल भेजा जाएगा।
पैसों के बदले तय हुआ रिश्ता
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स और अमेरिका स्थित अफगान पोर्टल Amu.tv के अनुसार, बच्ची के पिता को पैसे देकर यह रिश्ता तय किया गया था। शादी मर्जा जिले में एक सादे समारोह में हुई। बाद में जब मामला उठा, तो पुलिस ने दूल्हे और लड़की के पिता को हिरासत में लिया, लेकिन अब तक किसी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया गया है।
बाल विवाह, तालिबान और खौफनाक सच्चाई
तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद अफगान समाज में बाल विवाह की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। सामाजिक और धार्मिक परंपराओं की आड़ में लड़कियों को न केवल पढ़ाई से वंचित किया जा रहा है, बल्कि कम उम्र में उनका सौदा भी किया जा रहा है।
UNICEF की एक रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा बाल वधु वाला देश बनता जा रहा है।
वहीं, UN Women की रिपोर्ट बताती है कि तालिबानी शासन के बाद 25% बाल विवाह और 45% किशोर गर्भधारण के मामले बढ़े हैं।
शादी नहीं, सौदा है ये!
इस घटना के बारे में हश्त-ए-सुबह डेली ने रिपोर्ट की है कि दूल्हे की पहले से दो पत्नियां हैं और वह पैसे के बल पर तीसरी बार 6 साल की मासूम से विवाह कर बैठा।
इसे ‘वलवर’ नामक दहेज प्रथा का उदाहरण माना जा रहा है, जहां लड़की के सौंदर्य, उम्र, स्वास्थ्य और सामाजिक स्थिति के आधार पर “कीमत” तय की जाती है।
ICC का बड़ा कदम: तालिबान नेताओं पर गिरफ्तारी वारंट
8 जुलाई 2025 को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबातुल्लाह अखुंदजादा और अफगानिस्तान के मुख्य न्यायाधीश अब्दुल हकीम हक्कानी के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराधों के तहत गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए हैं।
ICC ने स्पष्ट रूप से कहा कि 2021 से 2025 तक तालिबान शासन में महिलाओं और लड़कियों पर हत्या, रेप, यातना और अपहरण जैसे संगीन जुर्म हुए हैं।
ये वारंट Crimes Against Humanity की श्रेणी में आते हैं।
हालांकि, तालिबान ने ICC के आदेश को सिरे से खारिज कर दिया है और इसे “इस्लाम के खिलाफ साजिश” बताया है।
महिलाओं पर तालिबान की नई पाबंदियां
तालिबान ने एक नया फरमान जारी कर महिलाओं को तेज आवाज़ में कुरान पढ़ने से भी मना किया है।
महिला मंत्री मोहम्मद खालिद हनाफी ने कहा:
“महिलाओं की आवाज़ ‘औराह’ होती है, यानी कुछ ऐसा जिसे छिपाना ज़रूरी है। न वे गा सकती हैं, न ही सार्वजनिक रूप से बोल सकती हैं।”
विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदेश भविष्य में महिलाओं के सार्वजनिक रूप से बोलने तक पर प्रतिबंध की भूमिका बन सकता है।
अफगान बच्चियों का क्या होगा?
6 साल की बच्ची की शादी की घटना ने एक बार फिर दिखा दिया है कि तालिबान शासित अफगानिस्तान में महिलाओं और बच्चियों के लिए कोई सुरक्षित भविष्य नहीं है।
जहां न्याय व्यवस्था खुद आरोपियों के साथ खड़ी हो, वहां कानून की बात करना मजाक बन चुका है।
यह महज एक खबर नहीं, बल्कि 21वीं सदी की सबसे बड़ी मानवता की हार है।
जब 6 साल की मासूम बच्चियों की शादी होती है और 45 साल का दूल्हा गर्व से मंडप में बैठता है, तो यह सिर्फ तालिबान का दोष नहीं, पूरी इंसानियत पर धब्बा है।