BY: Yoganand Shrivastva
कोलकाता: वक्फ संशोधन कानून को लेकर देशभर में विवाद गहराता जा रहा है, खासकर पश्चिम बंगाल में इसका तीव्र विरोध देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर खुलकर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यदि केंद्र की बीजेपी सरकार सत्ता से बाहर होती है, तो वह इस कानून को तत्काल प्रभाव से रद्द कर देंगी।
ममता बनर्जी मंगलवार को कोलकाता स्थित नेताजी इंडोर स्टेडियम में मुस्लिम धर्मगुरुओं और इमामों से संवाद करने पहुंचीं। इस विशेष बैठक में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष सैफुल्लाह रहमानी, AIMPLB के महासचिव फज़लुर्रहीम मुजद्दीदी, कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम समेत कई प्रमुख इमाम और धार्मिक नेता शामिल हुए।
ममता बनर्जी का केंद्र पर हमला
मुख्यमंत्री ममता ने कहा कि बंगाल को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश और बिहार की घटनाओं के वीडियो दिखाकर बंगाल की छवि को धूमिल किया जा रहा है। ममता ने बीजेपी पर फर्जी खबरें फैलाने और सांप्रदायिक माहौल बनाने का आरोप लगाते हुए कहा, “अगर बंगाल पर कुछ कहना है तो मेरे सामने आकर कहें। हमनें फेक मीडिया रिपोर्ट्स को भी बेनकाब किया है।”
‘सभी धर्मों का करती हूं सम्मान’
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि वह सभी धर्मों का सम्मान करती हैं। उन्होंने कहा, “मैं इमामों के साथ-साथ पुरोहितों का भी समान रूप से आदर करती हूं। हम रवींद्रनाथ टैगोर की विचारधारा में विश्वास रखते हैं और बंगाल में किसी भी तरह की हिंसा की साजिश को सफल नहीं होने देंगे।”
वक्फ कानून पर स्पष्ट रुख
वक्फ संशोधन कानून को लेकर ममता बनर्जी ने दोहराया कि उनकी पार्टी पहले भी संसद में इसका विरोध कर चुकी है और अब जब यह कानून पास हो गया है, तब भी वह इसे बंगाल में लागू नहीं होने देंगी। ममता की पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी हैं।
मुस्लिम समाज का विरोध
मुस्लिम समाज वक्फ को शरीयत का हिस्सा मानता है और उसमें किसी भी प्रकार की सरकारी दखलंदाजी को अस्वीकार्य बता रहा है। यही वजह है कि इस कानून के खिलाफ बंगाल के विभिन्न हिस्सों में जोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं।
ममता बनर्जी की इस बैठक को राज्य में मुस्लिम समाज के बीच समर्थन बनाए रखने की एक अहम रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने वादा किया कि बंगाल में धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए उनकी सरकार हमेशा तत्पर रहेगी।
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