BY: Yoganand Shrivastva
भोपाल , मध्य प्रदेश भाजपा संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए पार्टी ने हेमंत खंडेलवाल को अपना नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। इस फैसले के पीछे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की रणनीतिक सूझबूझ को बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। खंडेलवाल का निर्विरोध चुनाव न सिर्फ संगठन में स्थिरता की दिशा में कदम है, बल्कि यह भाजपा में चल रही अंदरूनी गुटबाज़ी पर भी एक करारा प्रहार है।
न कोई विरोध, न कोई हंगामा – सीएम की चुपचाप रणनीति कामयाब
प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर कई कयास लगाए जा रहे थे – कहीं यह पद अनुसूचित जाति वर्ग से किसी को मिलेगा, तो कहीं आदिवासी क्षेत्र को साधने की चर्चा थी। महिला नेता की नियुक्ति की संभावनाएं भी जताई जा रही थीं। लेकिन इन सभी अनुमानों को दरकिनार करते हुए मोहन यादव ने खामोशी से पार्टी के भरोसेमंद नेता हेमंत खंडेलवाल का नाम आगे बढ़ाया और निर्विरोध चुनाव सुनिश्चित किया।
हेमंत खंडेलवाल: योग्यता, निष्ठा और संगठन अनुभव का मिश्रण
हेमंत खंडेलवाल न केवल संगठन में गहराई से जुड़े हुए हैं बल्कि वे भाजपा के प्रदेश कोषाध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनका संघ परिवार से भी गहरा नाता है और वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार हैं। खंडेलवाल का निर्वाचन इस संदेश के साथ आया है कि पार्टी में अब नेतृत्व का चयन निष्ठा और संगठन के प्रति समर्पण के आधार पर होगा, न कि जाति या क्षेत्रीय समीकरणों से।
मोहन यादव और खंडेलवाल: दो मजबूत स्तंभ, एक संगठनात्मक सोच
- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और हेमंत खंडेलवाल दोनों ही RSS की पृष्ठभूमि से आते हैं और दोनों का छात्र राजनीति से लेकर वर्तमान तक लंबा सफर रहा है।
- मोहन यादव 1982 में छात्रसंघ से राजनीति में सक्रिय हुए, वहीं खंडेलवाल का राजनीति में प्रवेश अपने पिता, पूर्व सांसद विजय खंडेलवाल के मार्गदर्शन में हुआ था।
- दोनों ही विधायक हैं – यादव उज्जैन दक्षिण से और खंडेलवाल बैतूल से।
- दोनों ने संगठन और शासन, दोनों में सामंजस्य बनाकर कार्य किया है।
संगठन और सरकार में तालमेल का नया मॉडल
हेमंत खंडेलवाल की नियुक्ति सिर्फ एक अध्यक्ष बदलने का निर्णय नहीं है, बल्कि सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल का रोडमैप है। मोहन यादव ने बतौर मुख्यमंत्री अपने भरोसेमंद और प्रभावशाली संगठन सहयोगी को नेतृत्व की जिम्मेदारी देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह बीजेपी को एकजुट और अनुशासित ढांचे में चलाना चाहते हैं।
खुद मोहन यादव ने खंडेलवाल के प्रस्तावक की भूमिका निभाकर उनके नामांकन की राह को सहज बनाया। इससे यह भी संकेत गया कि प्रदेश की राजनीति में अब नेतृत्व का चयन सीधा-सरल नहीं बल्कि विचारधारा और निष्ठा आधारित होगा।
भविष्य की रणनीति क्या होगी?
अब जब पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल चुका है और मुख्यमंत्री तथा संगठन के बीच स्पष्ट सामंजस्य है, तो आगामी स्थानीय निकाय चुनावों, उपचुनावों और पंचायत स्तर की राजनीति में भाजपा को संगठित होकर लड़ने की रणनीतिक ताकत मिलेगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोहन यादव और हेमंत खंडेलवाल की जोड़ी मध्य प्रदेश में भाजपा को नई ऊर्जा और दिशा दे सकती है, खासकर ऐसे समय में जब पार्टी को विपक्ष के लगातार हमलों और भीतर के मतभेदों से निपटना है।
हेमंत खंडेलवाल की नियुक्ति न केवल एक प्रशासनिक बदलाव है, बल्कि यह भाजपा की भविष्य की राजनीति का ट्रेलर भी है – जहां अनुभव, संगठन और प्रतिबद्धता के आधार पर ही नेता तय होंगे। मुख्यमंत्री मोहन यादव की यह रणनीतिक चाल आने वाले समय में भाजपा को और मजबूती दे सकती है।