BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को ‘लैंड फॉर जॉब’ मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। देश की शीर्ष अदालत ने इस केस में निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग को खारिज कर दिया है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट की दो-न्यायाधीशों की पीठ—जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह—ने दिल्ली हाई कोर्ट को इस केस की सुनवाई जल्द निपटाने का निर्देश दिया है। साथ ही, कोर्ट ने लालू यादव को व्यक्तिगत पेशी से फिलहाल छूट जरूर दी है, लेकिन केस की कार्यवाही पर रोक नहीं लगाई।
इससे पहले, 29 मई 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी सीबीआई की FIR रद्द करने की मांग पर कोई अंतरिम राहत नहीं दी थी और कहा था कि कार्यवाही रोकने के लिए कोई ठोस आधार नहीं है। कोर्ट ने CBI से जवाब तलब करते हुए अगली सुनवाई 12 अगस्त को तय की थी।
क्या है ‘लैंड फॉर जॉब’ केस?
यह मामला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू यादव केंद्र में रेल मंत्री थे। CBI के अनुसार, इस दौरान भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र (जबलपुर) में ग्रुप-डी की भर्तियां की गईं, जिनके एवज में कुछ उम्मीदवारों या उनके परिवारों से जमीनें ली गईं।
मुख्य आरोप यह है कि लालू यादव ने बिना किसी सार्वजनिक विज्ञापन के लोगों को रेलवे में नियुक्त किया और बदले में उनके परिवार के नाम पर जमीनें ट्रांसफर कराई गईं।
CBI और ED दोनों इस मामले में जांच कर रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की चार्जशीट के अनुसार, लालू परिवार को सात अलग-अलग जगहों पर जमीनें मिलीं, जिनकी कीमत 600 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है।
मुख्य बिंदु संक्षेप में:
- लालू यादव को सुप्रीम कोर्ट से कार्यवाही पर रोक की मांग पर राहत नहीं मिली
- हाई कोर्ट को केस की सुनवाई तेज करने का निर्देश
- व्यक्तिगत पेशी से लालू यादव को छूट मिली
- मामला 2004–2009 के बीच रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लेने से जुड़ा
- ED के अनुसार, लालू परिवार ने रिश्वत में 7 जगहों पर जमीन प्राप्त की
- 600 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप भी शामिल