जब आप किसी शॉपिंग वेबसाइट या सुपरमार्केट में जाते हैं, तो अक्सर कीमतें 99, 199, 499, 999 जैसी दिखाई देती हैं।
क्या आपने कभी सोचा है कि ये 100, 200 या 500 क्यों नहीं होतीं?
ये कोई टाइपिंग मिस्टेक नहीं है, बल्कि एक सोची-समझी मनोवैज्ञानिक रणनीति है जिसे “Charm Pricing” या “Psychological Pricing” कहा जाता है।
चलिए, एक मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ की तरह इस रणनीति को गहराई से समझते हैं।
🧩 1. चार्म प्राइसिंग (Charm Pricing) क्या है?
“Charm Pricing” एक ऐसी रणनीति है जिसमें प्रोडक्ट की कीमत को जानबूझकर थोड़ा कम (जैसे ₹99 की बजाय ₹100 नहीं) दिखाया जाता है ताकि ग्राहक को वह सस्ती लगे।
उदाहरण:
- ₹100 की बजाय ₹99.
- ₹500 की बजाय ₹499.
- ₹1000 की बजाय ₹999.
✅ क्यों काम करती है ये रणनीति?
ग्राहक का दिमाग बाईं ओर से पढ़ना शुरू करता है, और ₹99 को ₹100 से “काफी सस्ता” मानता है, जबकि फर्क सिर्फ ₹1 का है।
🧠 2. मनोवैज्ञानिक सिद्धांत: “Left Digit Effect”
क्या होता है Left Digit Effect?
यह सिद्धांत कहता है कि जब ग्राहक किसी कीमत को पढ़ता है, तो वह सबसे पहला अंक देखकर ही निर्णय लेने लगता है।
उदाहरण:
- ₹99 और ₹100 में सिर्फ ₹1 का अंतर है,
- लेकिन दिमाग ₹99 को ₹90 की कैटेगरी में डालता है,
- जबकि ₹100 को ₹100+ वाली कैटेगरी में।
यही कारण है कि ₹499 सस्ता लगता है ₹500 से।
🧠 3. ग्राहक का मनोविज्ञान: “Bargain Perception”
ग्राहक सोचता है: “मैंने कुछ बचा लिया!”
जब ग्राहक को प्रोडक्ट ₹499 का दिखता है, तो वह मन ही मन सोचता है:
“अरे! ये तो ₹500 नहीं, ₹400 के रेंज में है।”
इससे उसे बचत की फीलिंग होती है, भले ही वह सिर्फ ₹1 की हो।
यह फीलिंग ही उस ब्रांड पर भरोसा और खरीदने की प्रेरणा देती है।
🎯 4. विश्वास और पारदर्शिता की भावना
“Odd Pricing” यानी असामान्य कीमतें
₹99, ₹199, ₹349 जैसी कीमतें ग्राहक को यह संदेश देती हैं कि:
- ब्रांड ने दाम ठीक से सोच-समझकर तय किया है।
- यह कोई “राउंड फिगर स्कैम” नहीं, बल्कि सच्ची कीमत है।
- ग्राहक को लगने लगता है कि यह प्रोडक्ट ओवरप्राइस्ड नहीं है।
इससे ब्रांड के प्रति विश्वास बनता है।
💰 5. बिक्री बढ़ाने में मददगार
- ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही जगह ये ट्रिक खूब काम करती है।
- Amazon, Flipkart, Big Bazaar जैसे बड़े ब्रांड इस तकनीक का जमकर इस्तेमाल करते हैं।
- रिसर्च में पाया गया है कि ₹99 वाली कीमतें 10-15% ज़्यादा बिक्री दिलाती हैं बनिस्बत ₹100 की।
🧪 6. वैज्ञानिक शोध क्या कहते हैं?
Harvard Business Review और Journal of Consumer Research में प्रकाशित रिसर्च बताते हैं:
- “Charm Pricing” ग्राहकों के निर्णय को तेजी से प्रभावित करता है।
- ग्राहक बिना ज़्यादा सोचें प्रोडक्ट को “Value for Money” मान लेते हैं।
- इससे Impulse Buying (बिना सोचे खरीदना) बढ़ती है।
🛑 7. क्या ये रणनीति हमेशा काम करती है?
नहीं, हर बार नहीं!
कुछ स्थिति में यह रणनीति उलटी भी पड़ सकती है, जैसे:
- लग्जरी प्रोडक्ट्स: जहां राउंड नंबर (₹1000, ₹5000) अधिक विश्वसनीय लगते हैं।
- डिस्काउंट शॉपिंग में: यदि हर जगह ₹99 दिखे, तो ग्राहक समझ सकता है कि यह ट्रिक है।
इसलिए ब्रांड को इस रणनीति का बैलेंस बनाकर इस्तेमाल करना चाहिए।
🧠 निष्कर्ष: ग्राहक का दिमाग ब्रांड से तेज़ नहीं, लेकिन सरल है
“₹1 का अंतर हमारे मन को जीत सकता है।”
बड़े ब्रांड इसी धारणा पर खेलते हैं।
वो जानते हैं कि ग्राहक का निर्णय तर्क नहीं, भावना पर आधारित होता है।
इसलिए ₹100 की जगह ₹99, ₹500 की जगह ₹499 का जादू चलता है।
📢 आप क्या सोचते हैं?
क्या आप भी कभी ₹999 की कीमत देखकर खुद से बोले हैं – “सस्ते में मिल गया!”?
👇 नीचे कमेंट में हमें ज़रूर बताएं कि ये ट्रिक आप पर कितना असर करती है!
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