कुणाल कामरा, जो एक मशहूर स्टैंड-अप कॉमेडियन हैं, हाल ही में अपने यूट्यूब वीडियो “नया भारत” को लेकर विवादों में आए। इस वीडियो में उन्होंने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर तंज कसा, बिना उनका नाम लिए उन्हें “गद्दार” (traitor) कहकर एक लोकप्रिय बॉलीवुड गाने “भोली सी सूरत” का पैरोडी बनाया। यह टिप्पणी शिंदे के 2022 में शिवसेना में बगावत और उद्धव ठाकरे की सरकार गिराने के संदर्भ में थी। इस वीडियो के बाद शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यकर्ताओं ने मुंबई के खार में स्थित “द हबीटेट” स्टूडियो में तोड़फोड़ की, जहां यह शो फिल्माया गया था। इसके अलावा, कुणाल के खिलाफ एमआईडीसी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई, जिसमें उन पर मानहानि (BNS सेक्शन 356(2)) और जनता में अशांति फैलाने (BNS सेक्शन 353) जैसे आरोप लगाए गए।

दान का मामला (Donations)
इस विवाद के बीच एक दिलचस्प बात यह हुई कि कुणाल कामरा को उनके यूट्यूब वीडियो पर “सुपर थैंक्स” फीचर के जरिए भारी मात्रा में दान मिला। “सुपर थैंक्स” एक ऐसा फीचर है, जिसके तहत दर्शक अपने पसंदीदा क्रिएटर्स को सीधे पैसे दान कर सकते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, हजारों लोगों ने कुणाल को कुछ सौ रुपये से लेकर हजारों रुपये तक दान दिए। कुछ ने तो विदेशी मुद्रा में भी योगदान दिया, जैसे कि ब्रिटिश पाउंड और अमेरिकी डॉलर में। अनुमान है कि कुल दान की राशि कुछ लाख रुपये (1-5 लाख INR) तक हो सकती है, हालांकि सटीक आंकड़ा सार्वजनिक नहीं है।
दान देने वालों ने अपने कमेंट्स में कुणाल की हिम्मत और अभिव्यक्ति की आजादी (freedom of speech) के समर्थन की बात कही। मिसाल के तौर पर:
- एक यूजर ने ₹179 दान करते हुए लिखा, “कुणाल, सच बोलने की हिम्मत के लिए धन्यवाद। उम्मीद है लोग अभिव्यक्ति की आजादी के लिए आगे आएंगे।”
- एक अन्य ने £99.99 दान करते हुए कहा, “उनके खिलाफ कार्रवाई होगी, कृपया एक फंडरेजर शुरू करें, हम आपके बिल चुकाने में मदद करेंगे।”
- ₹2000 दान करने वाले ने लिखा, “आप सच को हंसी के साथ पेश करते हैं, इसके लिए धन्यवाद।”
विवाद का असर
इस घटना ने भारत में अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस छेड़ दी। कुछ लोगों का मानना है कि कुणाल ने हास्य की आड़ में नेताओं का अपमान किया, जबकि उनके समर्थकों का कहना है कि यह सैटायर (व्यंग्य) का हिस्सा है और लोकतंत्र में इसकी इजाजत होनी चाहिए। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हास्य की आजादी है, लेकिन यह असीमित नहीं हो सकती और कुणाल को माफी मांगनी चाहिए। वहीं, कुणाल ने साफ कर दिया कि वह माफी नहीं मांगेंगे, जब तक कि कोर्ट उन्हें ऐसा करने का आदेश न दे।
शिवसेना कार्यकर्ताओं की तोड़फोड़ के बाद 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन उन्हें जमानत मिल गई। दूसरी ओर, “द हबीटेट” स्टूडियो ने घोषणा की कि वे अस्थायी रूप से बंद हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें बार-बार निशाना बनाया जा रहा है। BMC ने भी स्टूडियो के कुछ हिस्सों को अवैध निर्माण बताकर तोड़ दिया।
मेरा विश्लेषण
यह विवाद कुणाल कामरा के लिए नया नहीं है। वह पहले भी अपने राजनीतिक व्यंग्य के लिए विवादों में रहे हैं, जैसे कि 2020 में अर्नब गोस्वामी से उड़ान में बहस, सुप्रीम कोर्ट की आलोचना, और ओला के संस्थापक भाविश अग्रवाल से टकराव। इस बार दान की राशि से पता चलता है कि उनके पास एक बड़ा समर्थक वर्ग है, जो उनकी निडरता को पसंद करता है। लेकिन साथ ही, यह सवाल भी उठता है कि क्या हास्य की सीमा कहां तक होनी चाहिए और क्या हिंसक प्रतिक्रिया इसका जवाब हो सकती है।
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