कृषि उपकरणों की पूजा
पारंपरिक रीति‑रिवाजों के अनुसार किसानों ने इस दिन हल, रापा, कुदाल और अन्य कृषि उपकरणों सहित बैलों-भैंसों की भी विधिवत पूजा की। इस प्रकार, यह पर्व खेती और किसान जीवन को सम्मानित करने का माध्यम बना।
खेती-बाड़ी का काम निष्क्रिय
हरेली तिहार के दिन पूरी तरह खेती-बाड़ी का काम ठप रहा। खेतों की हरियाली और कृषि उपकरणों की पूजा ने लोगों को आध्यात्मिक रूप से घरों और त्योहार में बांध दिया, जिससे कृषि कार्य स्थगित रहा।
लोक खेल और उत्सव
नारियल जीत-हार और गेंड़ी का खेल
गाँवों में विशेष रूप से नारियल जीत-हार (हार-जीत) का पारंपरिक खेल आयोजित किया गया, जिसमें ग्रामीण आनंदित हुए। साथ ही, बच्चों ने गेंड़ी (बांस की लकड़ी पर चढ़ाई कर चलने जैसा खेल) का भरपूर आनंद लिया—एक लोक संस्कृति की जीवंत झलक।
शहरी उत्सव
शहरों में भी यह पर्व अपनी धूम लिए नजर आया। कोरबा नगर में विभिन्न टोली निकलकर नारियल संबंधी खेल खेली गईं, जिसमें स्थानीय लोगों ने सड़क-स्तरीय भागीदारी दिखाई।त्योहार की तैयारी और समावेशी प्रसंग
त्योहार की तैयारियों का आरंभ एक दिन पहले शाम से ही हो गया था। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी परंपरागत परिधानों और उत्साह के साथ उपस्थित नजर आए। यह पर्व सामूहिक रूप से प्रकृति व कृषि परंपराओं को संजोने का अवसर बन गया।
हरेली का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
हरेली छत्तीसगढ़, खासकर कोरबा जैसे जिले में, प्रकृति और कृषि से गहरा जुड़ा पर्व है। यह न केवल किसानों की मेहनत को सम्मानित करता है, बल्कि समाज में साझा उत्सव, खेल‑कूद और लोक संस्कृति को भी प्रोत्साहित करता है।
“हरेली तिहार छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्योहार है, जो खेतों की हरियाली और अच्छी फसल की कामना से जुड़ा होता है। किसान इस दिन अपने कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं और बैलों को सजाते हैं।”