एक सांप, एक सवाल और एक विवाद
भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क में हाल ही में लाया गया एक किंग कोबरा—भारत का सबसे विषैला और प्रतिष्ठित सांप—मृत पाया गया। यह घटना सिर्फ एक सांप की मौत नहीं है, बल्कि एक ऐसे फैसले पर प्रश्नचिन्ह है जिसमें जैव विविधता, वन प्रबंधन और राजनीतिक हस्तक्षेप तीनों शामिल हैं।
आइए जानते हैं कि किंग कोबरा को मध्य प्रदेश में लाने का क्या उद्देश्य था, उसकी मौत कैसे हुई, और विशेषज्ञ इसे कैसे देख रहे हैं।
🐍 किंग कोबरा कैसे पहुंचा भोपाल?
- 6 अप्रैल 2025 को, मंगलूरु के चिड़ियाघर से दो किंग कोबरा लाए गए।
- यह निर्णय खुद मुख्यमंत्री के निर्देश पर लिया गया था।
- इसका मकसद था मध्य प्रदेश में अन्य जहरीले सांपों की संख्या पर नियंत्रण करना।
वन विभाग के अधिकारियों ने देशभर में ढूंढने के बाद मंगलूरु से दो नर किंग कोबरा चयनित किए।
⚠️ मौत की वजह: अब तक क्या सामने आया?
- 18 जून को, वन विहार नेशनल पार्क में एक किंग कोबरा मृत पाया गया।
- पोस्टमार्टम में श्वसन तंत्र में समस्या (respiratory distress) को मौत की संभावित वजह बताया गया।
- जबलपुर स्थित राज्य वन्यजीव स्वास्थ्य कॉलेज में विसरा जांच के लिए भेजा गया है।
- चौंकाने वाली बात यह रही कि सिर्फ एक सांप के पोस्टमार्टम के लिए 5 डॉक्टरों की टीम बुलाई गई—इससे निर्णय की संवेदनशीलता स्पष्ट होती है।
🧠 विशेषज्ञों की राय: यह कदम कितना तर्कसंगत?
- किंग कोबरा मध्य प्रदेश की मूल प्रजाति नहीं है। यहां का पर्यावरण उसके लिए उपयुक्त नहीं हो सकता।
- इससे पहले, MP में लाए गए सभी जानवर—जैसे चीतों, गौर और स्वैम्प डियर—ऐसी प्रजातियाँ थीं जो पहले यहां पाई जाती थीं और विलुप्त हो गई थीं।
- लेकिन किंग कोबरा कभी MP में प्राकृतिक रूप से नहीं पाया गया।
“वन्य जीव प्रबंधन में वैज्ञानिक निर्णयों की जगह भावनात्मक और राजनीतिक निर्णय नहीं लेने चाहिए।”
— पूर्व वन अधिकारी, वन विहार परियोजना से जुड़े रहे अधिकारी
🐍 क्यों लाया गया था किंग कोबरा?
मुख्यमंत्री का कहना था कि:
- सांपों की संख्या खासकर डिंडोरी जिले में बहुत बढ़ गई है।
- वहां सांप के काटने की घटनाएं अधिक हो रही हैं और राज्य सरकार को मुआवजा देना पड़ रहा है।
- किंग कोबरा, जो दूसरे सांपों का भी शिकार करता है, शायद प्राकृतिक नियंत्रण ला सके।
हालांकि विशेषज्ञ इसे ‘विज्ञान की जगह धारणा आधारित सोच’ बताते हैं।
📉 सांपों की जनगणना का आदेश: कितना व्यावहारिक?
- मुख्यमंत्री ने एक सांपों की जनगणना कराने का आदेश दिया।
- लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि यह भारत में कभी नहीं हुआ और इसका संरक्षण में कोई खास योगदान नहीं है।
🌍 अब अगला कदम? ज़ेब्रा, जिराफ और गैंडा भी लाने की योजना!
वन विभाग अब अफ्रीका से ज़ेब्रा, जिराफ और राइनो लाने की योजना बना रहा है।
पर क्या यह वन विहार के मूल उद्देश्य से मेल खाता है?
“1980 के दशक में जब वन विहार की संकल्पना हुई थी, तब इसे केवल मध्य प्रदेश की मूल प्रजातियों के लिए आरक्षित रखने की योजना थी।”
— पूर्व अधिकारी, वन विहार परियोजना
🔚 निष्कर्ष: एक सजावट या संरक्षण?
किंग कोबरा की मौत हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या वन्यजीवों को सिर्फ प्रदर्शन की वस्तु समझा जा रहा है?
✅ क्या सरकारों को वन्यजीव संरक्षण में वैज्ञानिक सोच को प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए?
✅ क्या किसी विदेशी प्रजाति को लाकर एक संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र के साथ छेड़छाड़ हो रही है?