तेलंगाना के स्वायत्त इंजीनियरिंग कॉलेजों में छात्रों के डिस्टिंक्शन मार्क्स (प्रतिष्ठित अंक) में अचानक हुई बढ़ोतरी ने शिक्षा जगत में चिंता पैदा कर दी है। जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, हैदराबाद (JNTUH) ने इस पर सख्त चिंता जताई है और इन संस्थानों की जांच शुरू कर दी है।
क्या हुआ खुलासा?
JNTUH के वाइस-चांसलर प्रोफेसर टी. किशन रेड्डी ने हाल ही में कॉलेज प्रशासकों के साथ हुई एक बैठक में खुलासा किया कि कुछ कॉलेजों में स्वायत्तता मिलने के बाद डिस्टिंक्शन स्कोरर्स की संख्या में 25% से भी ज्यादा की बढ़ोतरी देखी गई है।
उन्होंने कहा, “यह कोई एक या दो कॉलेजों तक सीमित मामला नहीं है, बल्कि ऐसे कई संस्थान हैं जहां अंकों में अचानक उछाल आया है। हमने कुछ कॉलेजों के रिजल्ट्स को सत्यापन के लिए रोक दिया है।”
पहले भी उठ चुके हैं ऐसे मामले
यह पहली बार नहीं है जब स्वायत्त कॉलेजों में अंकों की मनमानी वृद्धि पर सवाल उठे हैं। नवंबर 2024 में, ओस्मानिया यूनिवर्सिटी ने भी एक कॉलेज पर मार्क इन्फ्लेशन (अंकों में बढ़ोतरी) का आरोप लगाकर कार्रवाई की थी। अब JNTUH के सामने भी ऐसी ही चुनौती है, क्योंकि इसके अंतर्गत 90 से ज्यादा स्वायत्त कॉलेज आते हैं, जिनमें 88 इंजीनियरिंग और कुछ फार्मेसी कॉलेज शामिल हैं।
क्या कहता है डेटा?
JNTUH के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्वायत्तता मिलने से पहले और बाद के छात्रों के प्रदर्शन का तुलनात्मक अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में पाया गया कि न सिर्फ पास प्रतिशत, बल्कि सेमेस्टर परीक्षाओं में छात्रों के कुल अंकों में भी भारी बढ़ोतरी हुई है।
अधिकारी ने कहा, “यह समस्या सिर्फ एक-दो कॉलेजों की नहीं, बल्कि 40-45 कॉलेजों में फैली हुई है, जिन्हें 3-4 साल पहले स्वायत्तता मिली थी।”
क्या हो सकता है समाधान?
इस समस्या से निपटने के लिए JNTUH अब मार्क नॉर्मलाइजेशन (अंकों का सामान्यीकरण) पर विचार कर रहा है। अधिकारी ने कहा, “हमें मनमाने ढंग से अंक देने से रोकने के लिए सख्त नियम बनाने होंगे, ताकि मूल्यांकन प्रक्रिया निष्पक्ष बनी रहे।”

और भी हैं आरोप
कुछ स्वायत्त कॉलेजों पर प्रश्नपत्र लीक करने, उत्तर पुस्तिकाओं का गलत मूल्यांकन और अकादमिक काउंसिल की बैठकें न कराने जैसे आरोप भी लगे हैं।
शिक्षा जगत के कुछ लोगों ने भी इन संस्थानों पर निशाना साधा है। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ सेल्फ-फाइनेंसिंग टेक्निकल इंस्टीट्यूशंस के महासचिव केवीके राव ने कहा, “कुछ स्वायत्त कॉलेज अब शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि डिग्री बांटने वाली फैक्ट्रियां बन गए हैं। यहां छात्रों को आसान डिग्री और ऊंचे अंकों का लालच देकर भर्ती किया जाता है।”
क्या होगा अगला कदम?
JNTUH अब इन कॉलेजों की जांच कर रहा है और जल्द ही सख्त कार्रवाई की संभावना है। क्या राज्य के तकनीकी शिक्षा विभाग को भी इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए? कमेंट्स में बताइए आपका क्या विचार है!
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