रिपोर्ट- नरेश तोमर
हरिद्वार: सनातन धर्म की आध्यात्मिक गूंज अब सीमाओं से परे जाती दिख रही है। इसकी जीवंत मिसाल हाल ही में हरिद्वार में देखने को मिली, जब जापान से श्रद्धालुओं का एक प्रतिनिधिमंडल इस धर्मनगरी पहुंचा। इन श्रद्धालुओं ने न सिर्फ गंगा तट पर शिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक किया, बल्कि उन्होंने सनातन धर्म के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा भी प्रकट की।
जापानी श्रद्धालुओं ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पूज्य रवींद्र पुरी महाराज से मुलाकात की और आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा की। इस दौरान श्रद्धालु बाला कुंदा गुरु मणि ने कहा—
“सनातन धर्म केवल भारत का नहीं, बल्कि पूरे विश्व का है। जो भी आत्मा परम सत्य की तलाश में है, उसके लिए यह धर्म सदैव खुले द्वार की तरह है। यह धर्म जोड़ता है, तोड़ता नहीं।”
गुरु मणि ने यह भी बताया कि वे जापान में अपने घरों को मंदिर का रूप दे चुके हैं और वहां नियमित रूप से पूजा-पाठ व ध्यान करते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें सनातन धर्म में जीवन का वास्तविक अर्थ मिला है।

इस अवसर पर रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि,
“सनातन धर्म की यह सार्वभौमिक स्वीकृति दर्शाती है कि इसकी शिक्षाएं केवल किसी एक राष्ट्र या जाति के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए हैं। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना को आज ये जापानी श्रद्धालु मूर्त रूप दे रहे हैं।”
हरिद्वार की यह यात्रा न केवल एक तीर्थ यात्रा थी, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संगम भी बन गई। जापानी श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति यह स्पष्ट कर रही है कि सनातन धर्म की जड़ें कितनी गहरी और व्यापक हैं।
हरिद्वार की धरती पर इस तरह की घटनाएं यह प्रमाणित करती हैं कि सनातन संस्कृति और आध्यात्मिक मूल्य आज भी पूरी दुनिया को आकर्षित कर रहे हैं — और आगे भी करते रहेंगे।