कश्मीरियों ने भी एक स्वर में कहा आतंकियों को कुचल डालो
BY: VIJAY NANDAN
हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। यह हमला सिर्फ 26 हिंदू टूरिस्ट और सेना के जवानों पर नहीं, बल्कि भारत की सामाजिक एकता पर भी हमला था। लेकिन इस संकट के समय पर भारतीय मुसलमानों का व्यवहार ऐसा रहा, जिसने साबित कर दिया कि जब बात देश की हो, तो मजहब पीछे और मातृभूमि सबसे आगे होती है।
पाकिस्तानी जनरल की साज़िश: 2 नेशन थ्योरी की फिर से कोशिश
हमले से पहले पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल आसिफ मुनीर ने एक भड़काऊ और विभाजनकारी बयान दिया था। उन्होंने कहा कि “हिंदू और मुसलमान एक साथ नहीं रह सकते”, और फिर से 2 नेशन थ्योरी का हवाला देकर भारत के मुसलमानों को भड़काने की कोशिश की। यह बयान भारत की सामाजिक एकता को तोड़ने की सुनियोजित साज़िश थी।
#WATCH | #OperationSindoor | J&K | People celebrate at Lal Chowk in Srinagar after successful implementation of Operation Sindoor
— ANI (@ANI) May 7, 2025
A young man says, "Entire Kashmir stood against those who attacked innocent tourists and local Kashmiris. We had one demand – justice for all the… pic.twitter.com/3sLgBxqtIr
लेकिन भारत के मुसलमानों ने उस बयान को पूरी तरह नकार दिया। उन्होंने न केवल आतंकियों के हमले की निंदा की, बल्कि भारत सरकार और सेना द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का समर्थन भी किया।
खासतौर पर जम्मू-कश्मीर के मुसलमानों ने पहलगाम के हमले के बाद जो एकजुटता दिखाई, उसने पूरे देश का दिल जीत लिया। कुछ साल पहले तक श्रीनगर और घाटी के अन्य इलाकों में अलगाववादी सेना पर पत्थर चलाते थे लेकिन आज हालात ये हैं कि जब पहलगाम हमला हुआ तो पूरा कश्मीर इसके विरोध में सड़क पर आ गया और आतंकियों को मुंह तोड़ जवाब देने की मांग करने लगा।

भारतीय मुसलमानों का राष्ट्रवादी रुख
जब पाकिस्तान और पीओके में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत कार्रवाई हुई, तब भारत के मुसलमानों ने सोशल मीडिया से लेकर ज़मीन तक हर मंच पर इस कार्रवाई का समर्थन किया। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि वो सच्चे राष्ट्रवादी भारतीय हैं।

वक्फ संशोधन बिल और वैचारिक खाई
हालांकि हाल के पिछले कुछ महीनों में वक्फ संशोधन बिल जैसे कुछ मुद्दों ने हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच वैचारिक मतभेद को बढ़ावा दिया, लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और उससे जुड़ी मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया ने यह दिखाया कि जब बात राष्ट्रहित की हो, तो धर्म की दीवारें गिर जाती हैं।
#WATCH | Delhi | After the all-party meeting, AIMIM chief Asaduddin Owaisi says, "I have complimented our armed forces and the government for #OperationSindoor. I also suggested that we should run a global campaign against the Resistance Front (TRF). I also suggested that the… pic.twitter.com/cPca9t6IHA
— ANI (@ANI) May 8, 2025
नेताओं को संयम दिखाना चाहिए
अब जब भारत के मुसलमानों ने अपनी राष्ट्रभक्ति का परिचय दिया है, तो यह जरूरी हो जाता है कि सत्ताधारी दल के कुछ नेता, जो अनावश्यक रूप से मुसलमानों को निशाना बनाते हैं, अपनी भाषा पर संयम रखें। देश में नफरत से नहीं, आपसी विश्वास से एकता बनी रहती है।
सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास
केंद्र सरकार का विकास मंत्र आज जमीनी स्तर पर सभी मजहबों तक पहुँच चुका है। मुसलमान भी अब उज्ज्वला, आवास, आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं के लाभार्थियों में शामिल हैं। यह भारत की धर्मनिरपेक्ष शक्ति और लोकतांत्रिक परिपक्वता की मिसाल है।
#WATCH | Saharanpur, UP: On #OperationSindoor, Congress MP Imran Masood says, "Our action is selected and pinpoint targeted. We have only attacked the terrorist infrastructure; civilians have not been targeted…Terrorist Masood Azhar will get to understand the pain of the death… pic.twitter.com/EAGAYLPALw
— ANI (@ANI) May 7, 2025
भविष्य के खतरे और वर्तमान की जिम्मेदारी
पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई से वहां हलचल है। यदि भविष्य में हालात बिगड़े और युद्ध जैसे हालात बने, तो भारत को अपने हर नागरिक का साथ चाहिए। और मुस्लिम समाज ने साबित कर दिया है कि वे हर मोर्चे पर साथ खड़े रहेंगे।
देशभक्ति मजहब नहीं देखती
भारत के मुसलमानों को बार-बार अपनी देशभक्ति का सबूत नहीं देना चाहिए। आज उन्होंने यह दिखा दिया है कि पाकिस्तानी एजेंडा भारत में फेल हो चुका है। अगर युद्ध हुआ, तो हिंदू-मुस्लिम एक साथ सीमा पर लड़ेंगे और भीतर देश को मजबूत बनाएंगे।
भारत की असली ताकत, विविधता में एकता
जनरल आसिफ मुनीर जैसे लोग भारत को तोड़ने की साजिश रच सकते हैं, लेकिन भारत की सांझी संस्कृति, मजहबी सौहार्द और जन-जन की देशभक्ति उन्हें बार-बार विफल करती रहेगी। भारत के मुसलमानों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वो पाकिस्तानी सोच से नहीं, भारतीय मिट्टी से जुड़े हैं। अब भी कुछ लोग ऐसे हो सकते हैं जो पाकिस्तान जिंदावाद का नारा लगाते हों लेकिन उनकी संख्या मुट्ठीभर है। उनकी सोच में भी परिवर्तन जल्द ही आ जाएगा।
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