भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर जल्द ही ऐतिहासिक हस्ताक्षर होने वाले हैं। यह समझौता न केवल व्यापार में एक नया युग लाएगा, बल्कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को मजबूती देगा।
ब्रिटेन की सरकार ने पुष्टि की है कि यह करार बाजार पहुंच में बड़ा इजाफा करेगा और भारत-यूके द्विपक्षीय व्यापार को 34 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा सकता है।
क्या है इस समझौते का मकसद?
- व्यापार में तेज़ी: 6 मई को हुई आपसी सहमति के अनुसार, दोनों देश 2030 तक 120 अरब डॉलर का व्यापार लक्ष्य बना चुके हैं।
- कर राहत:
- भारत को मिलने वाले ब्रिटिश उत्पादों पर औसतन आयात शुल्क 15% से घटकर 3% हो जाएगा।
- भारतीय निर्यातकों को 99% टैक्स राहत मिलेगी।
- ब्रिटिश उत्पादों पर 90% ड्यूटी कटौती का वादा।
भारतीय उपभोक्ताओं को क्या मिलेगा?
FTA के लागू होते ही भारतीय बाजार में उच्च गुणवत्ता वाले ब्रिटिश प्रोडक्ट्स आसानी से उपलब्ध होंगे:
- सॉफ्ट ड्रिंक्स
- कॉस्मेटिक्स
- लग्ज़री कारें
- मेडिकल इक्विपमेंट
अब ये उत्पाद पहले से सस्ते और सुगम तरीके से मिल सकेंगे, जिससे भारतीय ग्राहकों के पास ज्यादा विकल्प और कम कीमत का फायदा होगा।
ब्रिटिश उपभोक्ताओं को क्या फायदा?
ब्रिटेन हर साल भारत से 11 अरब पाउंड मूल्य के वस्त्र और अन्य उत्पाद आयात करता है। अब भारतीय उत्पादों पर लगने वाला शुल्क घटने से:
- ब्रिटिश कंपनियों के लिए भारतीय सामान खरीदना सस्ता और आसान होगा।
- इससे भारतीय कंपनियों के लिए UK में निर्यात बढ़ाने का सुनहरा अवसर बनेगा।
क्या कहा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने?
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने इस समझौते को “ब्रिटेन के लिए एक बड़ी जीत” करार दिया। उन्होंने कहा:
“यह करार हज़ारों नई नौकरियों का सृजन करेगा, व्यवसायों के लिए नए अवसर खोलेगा और पूरे देश में आर्थिक विकास को रफ्तार देगा। यह हमारे ट्रांसफॉर्मेशन एजेंडा का अहम हिस्सा है।”
लॉन्च होगा ‘UK-India Vision 2035’
FTA के साथ-साथ, भारत और ब्रिटेन मिलकर ‘यूके-इंडिया विजन 2035’ की भी घोषणा करेंगे। इसका उद्देश्य:
- द्विपक्षीय साझेदारी को नई ऊंचाइयों तक ले जाना
- बदलती वैश्विक परिस्थितियों में एक मजबूत रणनीतिक सहयोग तैयार करना
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भारत-यूके FTA क्यों है ऐतिहासिक?
यह समझौता केवल एक व्यापारिक डील नहीं, बल्कि दो विश्व शक्तियों के बीच गहराते विश्वास और साझेदारी का प्रतीक है। इससे दोनों देशों को:
- आर्थिक विकास
- व्यापार में विस्तार
- नौकरियों के अवसर
- वैश्विक स्तर पर रणनीतिक मजबूती
मिलने की संभावना है।