भारत और चीन के रिश्तों में जमी बर्फ अब धीरे-धीरे पिघलती दिख रही है। पांच साल के लंबे अंतराल के बाद भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए चीनी नागरिकों को पर्यटक वीजा जारी करना फिर से शुरू कर दिया है।
यह कदम दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में एक निर्णायक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। यह फैसला ऐसे समय आया है जब हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बीजिंग में अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की थी।
क्या है पूरा मामला?
2020 में वीजा सेवा बंद क्यों हुई थी?
- कोविड-19 महामारी फैलने के बाद 2020 में भारत ने सभी देशों से आने वाले पर्यटक वीजा पर रोक लगाई थी।
- धीरे-धीरे कई देशों के लिए पाबंदियां हटा ली गईं, लेकिन चीन के लिए यह रोक बनी रही।
- इसका कारण था गलवान घाटी में भारत-चीन सैन्य संघर्ष और सीमाई तनाव।
कूटनीतिक बातचीत के बाद बदले हालात
- 14-15 जुलाई 2025 को एस. जयशंकर ने बीजिंग में चीनी विदेश मंत्री वांग यी और उपराष्ट्रपति हान झेंग से द्विपक्षीय बातचीत की।
- यह मुलाकात शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सम्मेलन के दौरान हुई थी।
- जयशंकर ने दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली और पारस्परिक सम्मान पर जोर दिया।
सीमाओं पर भी तनाव में कमी
LAC पर क्या हुआ बदलाव?
- 2024 के अक्टूबर से भारत-चीन सीमाओं पर सैन्य तनाव में कमी आई है।
- दोनों सेनाएं कई संवेदनशील इलाकों से पीछे हटीं।
- इस कदम ने राजनयिक बातचीत और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं को बढ़ाया।
टूरिस्ट वीजा फिर से जारी: क्या होगा असर?
पर्यटन और जनसंपर्क को मिलेगा बढ़ावा
- टूरिस्ट वीजा की बहाली से भारत-चीन लोगों के बीच संवाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बल मिलेगा।
- भारत को उम्मीद है कि इससे पर्यटन क्षेत्र को आर्थिक लाभ भी मिलेगा।
सतर्कता रहेगी बरकरार
- भारत ने साफ किया है कि सुरक्षा से जुड़ी सतर्कता में कोई ढील नहीं दी जाएगी।
- विदेश मंत्री जयशंकर ने चेताया कि आगे बढ़ने के लिए पारदर्शिता और भरोसे की जरूरत होगी।
अन्य सकारात्मक संकेत: कैलाश मानसरोवर यात्रा भी फिर शुरू
- हाल ही में भारत ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को भी पांच साल बाद फिर से शुरू करने की अनुमति दी है।
- यह फैसला धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को फिर से स्थापित करने की दिशा में एक और अहम कदम है।
भारत और चीन के बीच वर्षों से जमी तल्खियों को पिघलाने के लिए यह टूरिस्ट वीजा बहाली एक बड़ा संकेत है। हालांकि, भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि विश्वास बहाली के लिए चीन को अपनी प्रतिबद्धता को साबित करना होगा।
अगर यह सकारात्मक पहल आगे भी जारी रही, तो दोनों एशियाई महाशक्तियों के बीच शांति और सहयोग का नया अध्याय शुरू हो सकता है।