जानिए..इस युवक ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग छोड़ क्यों पकड़ी अध्यात्म की राह?
MAHAKUMBH 2025: विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक समागम महाकुंभ मेला प्रयागराज में मकर संक्रांति से शुरू हो गया है। हर साल 12 साल में एक बार होने वाले आयोजित होने वाले महाकुंभ में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस महाकुंभ के महासंगम पर पवित्र स्नान करके इस आयोजन का जश्न मनाया जाता है। 13 जनवरी से शुरू हुए 48 दिवसीय महाकुंभ में 40 करोड़ से भी अधिक तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद की जा रही है, जिसमें बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय श्रद्धालु भी शामिल हो रहे हैं। साधु-संतों का कहना है कि इस साल का आयोजन बेजोड़ आध्यात्मिक महत्व रखता है, क्योंकि यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना के साथ मेल खाता है, जो 144 वर्षों में एक बार फिर बनी है। महाकुंभ में आध्यात्मिक हस्तियों की एक विविध सभा होती है, जिसमें भस्म से लिपटे नागा साधु बड़ी तादाद में शामिल होते हैं। प्रत्येक आध्यात्मिक संप्रदाय का अपना महत्व और विशेषताएँ होती हैं, लेकिन कई ऐसे साधु है, जो पहले से ही सुर्खियाँ बटोर रहे हैं। यह पहला महाकुंभ है जो सोशल मीडिया पर पूरी तरह से छाया हुआ है। कई कहानियाँ पहले से ही चर्चा में हैं। ‘आईआईटीयन’ बाबा की कहानी ऐसी ही एक कहानी है। जो सोशल मीडिया पर ट्रैंड कर रही है।
mahakumbh 2025 मेले में आईआईटीयन बाबा
साधु Abhay Singh, जिन्हें मसानी गोरख के नाम से भी जाना जाता है, महाकुंभ के पहले ही दिन वे स्नान करने पहुँच गए। एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्रीधारी आईआईटी-बॉम्बे के पूर्व छात्र अभय सिंह ने आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए विज्ञान में अपना उज्जवल करियर त्याग दिया। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने शैक्षणिक योग्यता का बखान किया, सब हैरान हो गए।
हरियाणा के रहने वाले हैं अभय सिंह
हरियाणा से आने वाले, अभय सिंह ने आईआईटी में चार साल बिताए, इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। बाद में उन्होंने इंजीनियरिंग की राह छोड़ दी, डिजाइन में मास्टर्स की पढ़ाई की और फोटोग्राफी करने सगे। इसका उन्हें ऐसा जुनून पैदा हुआ कि फोटोग्राफी के दौरान ही उन्हें साधु संतों का सानिध्य प्राप्ता हुआ।
सुकरात, प्लेटो को पढ़ा, लेकिन सनतान के मूल सिद्धांत और दर्शन से हुए प्रभावित
आईआईटी बाबा ने बताया कि उन्होंने जीवन में अर्थ खोजने के प्रयास में उत्तर-आधुनिकतावाद और सुकरात और प्लेटो के कार्यों जैसी दार्शनिक अवधारणाओं का गहन अध्ययन किया है। उन्होंने कहा कि यही वास्तविक ज्ञान है। यदि आपको मन या मानसिक स्वास्थ्य को समझना है, तो आप इसे (आध्यात्मिकता के माध्यम से) समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि ये जीवन सबसे अच्छा जीवन है।
दो दिन में ही तीन करोड़ से अधिक श्रद्धालु कर चुके हैं महाकुंभ में स्नान
बता दें कि पहला शाही स्नान, या शाही स्नान, 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर हो चुका है। लेकिन उसके बाद संगम तट पर डुबकी लगाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आखिरी स्नान 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर होगा, जब कुंभ का समापन होगा। अब तक 3 करोड़ से अधिका श्रद्धालु महाकुंभ में स्नान कर चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगले 40 दिनों में महाकुंभ में स्नान करने वालों की संख्या कहां तक पहुंचने वाली है।
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