BY: Yoganand Shrivastava
इंदौर: विजयादशमी के अवसर पर शूर्पणखा के पुतले जलाने के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से रोक लगा दी है। इस मामले में सोनम रघुवंशी की मां संगीता रघुवंशी ने 25 सितंबर को याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने अदालत से सुरक्षा की मांग की थी। शुक्रवार (26 सितंबर) को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आदेश जारी किया और कहा कि किसी भी व्यक्ति का सार्वजनिक रूप से पुतला जलाना या उसकी छवि को अपमानित करना संविधान और कानून के खिलाफ है।
दरअसल, पौरुष नामक संस्था ने शूर्पणखा के रूप में सोनम रघुवंशी समेत उन महिलाओं के पुतले बनाने की योजना बनाई थी जिन पर परिवार या हत्या से जुड़े गंभीर आरोप हैं। इस योजना में कुल 11 चेहरों वाले पुतले तैयार किए गए थे, जिनमें सोनम का चेहरा भी शामिल था। इस पर सोनम के परिवार और रघुवंशी समाज ने आपत्ति जताई। उनके भाई गोविंद रघुवंशी ने इंदौर कलेक्टर से भी शिकायत कर इस आयोजन को रोकने की मांग की थी।
गोविंद रघुवंशी ने अदालत को बताया कि सोनम पर केस अभी न्यायालय में चल रहा है और उसे दोषी नहीं ठहराया गया है। ऐसे में उसका चेहरा सार्वजनिक रूप से पुतले में लगाना अनुचित और मानसिक उत्पीड़न जैसा है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन कानून के खिलाफ है और इससे सोनम की छवि खराब की जा रही है।
संस्था का तर्क था कि यह किसी महिला का अपमान नहीं है और यह केवल बुराई को दर्शाने का माध्यम है। वहीं, रघुवंशी समाज ने सार्वजनिक मंच पर ‘रघुवंशी’ नाम के उपयोग पर भी आपत्ति जताई। ग़ौरतलब है कि राजा रघुवंशी हत्याकांड के बाद गोविंद ने प्रारंभ में पीड़ित परिवार से सहानुभूति जताई थी और माफी मांगी थी। अब गोविंद का रुख बदल गया है और वह शिलॉन्ग कोर्ट में अपनी बहन सोनम की जमानत सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं।
इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश ने स्पष्ट कर दिया कि किसी व्यक्ति का पुतला जलाना या सार्वजनिक रूप से अपमानित करना न केवल अवैध है बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक शांति के खिलाफ भी है। यह आदेश सामाजिक और कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इससे व्यक्ति की प्रतिष्ठा और मानसिक सुरक्षा को संरक्षण मिलेगा।





