रिपोर्ट- रुपेश सोनी, हजारीबाग
हजारीबाग: 21वीं सदी में विज्ञान, शिक्षा और तकनीक के तमाम दावों के बावजूद अंधविश्वास और सामाजिक बर्बरता की एक शर्मनाक मिसाल झारखंड के हजारीबाग जिले से सामने आई है। यहां बरही थाना अंतर्गत जबरिया गांव में एक विधवा महिला को डायन बताकर उसके साथ जो अमानवीयता की गई, वह इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली है।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना शुक्रवार की रात की है, जब गांव के ही सात लोगों ने मिलकर पीड़िता के साथ दरिंदगी की सारी हदें पार कर दीं।ये सभी आरोपी महिला के रिश्तेदार (गोतिया) बताए जा रहे हैं।
पीड़िता का आरोप:
रात 10 बजे आरोपी उसके घर में घुस आए
उसे निर्वस्त्र कर बेरहमी से पीटा गया
डायन बताकर ब्लेड से शरीर के हिस्सों को काटा गया, जिससे खून बहने लगा
यह अमानवीय कृत्य रात भर (सुबह 3 बजे तक) चला
गयाजी के प्रेतशिला में सिर मुंडवाकर फिर की गई मारपीट
दरिंदगी यहीं नहीं रुकी। पीड़िता को अगली सुबह जबरन बिहार के गया स्थित प्रेतशिला ले जाया गया, जो कि पारंपरिक रूप से पिशाच मुक्ति अनुष्ठान के लिए जाना जाता है। वहां महिला का सिर मुंडवाया गया। दोबारा उसकी पिटाई की गई।
₹20,000 वसूले गए और फिर ₹80,000 की और मांग की गई
बेटे ने ₹10,000 ऑनलाइन ट्रांसफर किया, तब जाकर महिला को छोड़ा गया
शनिवार रात करीब 10 बजे उसे बरही बाजार में छोड़ दिया गया, जहां से वह किसी तरह अपने घर पहुंची

थाने में दी गई शिकायत
रविवार की रात, पीड़िता ने अपने बेटे के साथ मिलकर बरही थाना में आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
इसके बाद पुलिस हरकत में आई और जांच शुरू की गई।
पुलिस की कार्रवाई
बरही अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अजीत कुमार विमल ने कहा:
“मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।”
पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी शंभू यादव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, और अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।

क्या कहता है यह मामला?
इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि आज भी झारखंड के कई हिस्सों में डायन प्रथा और अंधविश्वास के नाम पर महिलाओं को शोषण और हिंसा का सामना करना पड़ता है।
विधवा महिलाएं विशेष रूप से निशाना बनती हैं
यह सिर्फ एक सामाजिक कुरीति नहीं, बल्कि मानवाधिकार का सीधा उल्लंघन है
इससे जुड़ा डायन विरोधी कानून होने के बावजूद कार्रवाई अक्सर धीमी होती है
पीड़ित की मांग
सभी आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी हो
पीड़िता को मुआवजा और सुरक्षा दी जाए
गांव में जागरूकता अभियान चलाया जाए
डायन प्रताड़ना कानून को सख्ती से लागू किया जाए
यह सिर्फ एक महिला की नहीं, पूरे समाज की हार है।
जब तक अंधविश्वास, पितृसत्ता और ग्रामीण सामाजिक दबावों को चुनौती नहीं दी जाएगी, तब तक ऐसी घटनाएं रुकेंगी नहीं, अब वक्त है कि सिर्फ कानून नहीं, सामाजिक चेतना भी उतनी ही मज़बूत हो।