हरेली तिहार: हरियाली का पर्व
हरेली तिहार, जिसे “हरियाली त्यौहार” भी कहा जाता है, सावन मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या को मनाया जाता है। यह त्योहार किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है—हरित फसलों और अच्छी वर्षा की कामना के साथ कृषि उपकरणों, बैलों-भैंसों की पूजा की जाती है।
मुख्यमंत्री निवास की रंगीन सजावट
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। निवास परिसर को ग्रामीण परिवेश में सजाया गया था—लोक संगीत, राउत नाचा, गेड़ी नृत्य जैसे छत्तीसगढ़ी नृत्य-प्रदर्शन और विविध पारंपरिक व्यंजनों की भरमार से माहौल में लोक आनंद भर गया।
पूजा-अर्चना और कृषि उपकरणों का पूजन
कार्यक्रम में कृषि से जुड़े सभी उपकरण—नांगर, रापा, कुदाल सहित आधुनिक उपकरणों की विधिवत पूजा की गई। मुख्यमंत्री साय ने गाय-बछड़ों का लोंदी चारा खिलाकर पशुधन संरक्षण का संदेश भी दिया। उन्होंने किसानो की खुशहाली और राज्य के कृषि-प्रधान समुदाय के विकास की कामना की।
आधुनिक कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी
इस आयोजन में कृषि विभाग द्वारा प्रदर्शित अत्याधुनिक कृषि यंत्रों की स्टॉल भी लगाई गई। मुख्यमंत्री ने इनका अवलोकन किया और चयनित किसानों को ट्रैक्टर, हार्वेस्टर—अंग्रेज़ी में “advanced farm machinery”—की चाबियाँ प्रदान की गईं, जिनमें सीमांत और महिला किसानों को विशेष अनुदान पर लाभ दिया गया।
विधायकों और मंत्रियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों में
- विधानसभा अध्यक्ष डा. रमन सिंह,
- कृषि मंत्री रामविचार नेताम,
- उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा,
- कैबिनेट मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल,
और अन्य विधायक शामिल थे। इनके संबोधनों से सामाजिक और प्रशासनिक एकता का संदेश प्रबल रूप से उजागर हुआ।
लोक संस्कृति और छत्तीसगढ़िया स्वाद
स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत राउत नाचा, करमा नृत्य, बस्तरिया नृत्य, गेड़ी नृत्य, और गड़वा बाजा ने लोक संस्कृति को जीवंत किया। हरेली तिहार के अवसर पर विधायक और गणमान्य अतिथियों के लिए ठेठ छत्तीसगढ़ी व्यंजन—ठेठरी, खुरमी, पिड़िया, अनरसा, खाजा, करी लड्डू, मुठिया, गुलगुला भजिया, चीला-फरा, बरा आदि—विशेष तौर पर परोसे गए, जो कार्यक्रम की लोक-रंगीनता को बढ़ाते है।
प्रशासन का संदेश और लोक-संस्कृति को सम्मान
मुख्यमंत्री साय ने कहा:
“किसानों की खुशहाली और समृद्धि हमारी सरकार का लक्ष्य है। हमारा प्रयास कृषि-प्रधान छत्तीसगढ़ को और समृद्ध बनाना है।”
उनका यह संदेश समाज में कृषि के महत्व और किसान केंद्रित नीतियों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।