BY: Yoganand Shrivastva
भुवनेश्वर में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि आज़ादी को लेकर आत्मसंतुष्ट होने के बजाय हमें इसे बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत और बलिदान करना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि जैसे हमारे पूर्वजों ने तीन पीढ़ियों तक संघर्ष करके स्वतंत्रता हासिल की, वैसे ही हमें भी देश को आत्मनिर्भर और ‘विश्व गुरु’ बनाने के लिए उतनी ही मेहनत करनी होगी।
भागवत ने कहा कि भारत का धर्म और ज्ञान विश्व में शांति और सुख का संदेश देता है, और यही मार्गदर्शन हमें दुनिया को प्रदान करना चाहिए। उनके अनुसार, दुनिया वर्तमान समय में अनेक चुनौतियों और विवादों से जूझ रही है, जिसमें पर्यावरण संकट और आपसी संघर्ष शामिल हैं। ऐसे में भारत का दायित्व है कि वह समाधान प्रस्तुत करे और एक शांतिपूर्ण व समृद्ध वैश्विक व्यवस्था की दिशा में नेतृत्व करे।
उन्होंने कहा, “स्वतंत्रता हमें इसलिए मिली है ताकि देश में हर व्यक्ति को सुख, सुरक्षा, शांति और सम्मान मिल सके। अब हमें दुनिया को भी ऐसे मूल्यों की ओर ले जाना है।”
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत हमेशा से अपने ज्ञान और सिद्धांतों को दूसरों के साथ साझा करता आया है और भविष्य में भी यही उसकी पहचान बनी रहनी चाहिए।
इससे पहले लाल किले से स्वतंत्रता दिवस संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 100 साल की यात्रा की सराहना की। उन्होंने कहा कि RSS ने व्यक्ति निर्माण से लेकर राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और इसे दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बताया। पीएम मोदी ने सभी स्वयंसेवकों को राष्ट्रसेवा के लिए आदरपूर्वक नमन किया।





