ग्वालियर में कचरे से निजात और हरित ऊर्जा उत्पादन के लिए नगर निगम ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब तक गोबर से बायोगैस बनाने की पहल के बाद, अब शहर का कचरा भी ऊर्जा का स्रोत बनेगा। केदारपुर में 75 करोड़ रुपये की लागत से मध्यप्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG) प्लांट बनाया जाएगा।
परियोजना को मिली सरकार की मंजूरी
नगर निगम ग्वालियर के अपर आयुक्त मुनीष सिंह सिकरवार ने बताया कि सरकार ने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। जल्द ही इसके लिए टेंडर जारी किए जाएंगे, और निर्माण कार्य भी आरंभ होगा।
- लोकेशन: केदारपुर डंपसाइट
- लागत: लगभग ₹75 करोड़
- क्षेत्रफल: 5.5 हेक्टेयर
- समाप्ति की संभावित तारीख: वर्ष 2027
कैसे काम करेगा यह CBG प्लांट?
यह प्लांट ग्वालियर शहर से हर दिन निकलने वाले 350 टन कचरे को प्रोसेस करेगा, जिसमें गीला और सूखा दोनों प्रकार का कचरा शामिल होगा।
प्रमुख बिंदु:
- गीले कचरे से बनेगी बायो-CNG और जैविक खाद।
- प्रत्येक दिन लगभग 9 टन बायो-CNG का उत्पादन।
- बायोगैस का उपयोग नगर निगम के वाहनों में और कमर्शियल बिक्री के लिए होगा।
- नगर निगम को अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी।
सूखे कचरे के लिए अलग व्यवस्था
277 टन सूखे कचरे के निपटान के लिए एक अलग रीसायक्लिंग यूनिट भी स्थापित की जाएगी। इसमें प्लास्टिक और अन्य पुनः उपयोगी वस्तुओं को प्रोसेस किया जाएगा, जिससे पर्यावरणीय बोझ भी कम होगा।
चंदुआखुर्द से केदारपुर क्यों बदला गया स्थान?
पहले यह प्लांट चंदुआखुर्द डंपयार्ड में प्रस्तावित था, लेकिन भूमि की कमी और स्थानीय विवादों के कारण इसे केदारपुर लैंडफिल साइट पर स्थानांतरित किया गया। अब यह साइट धीरे-धीरे खाली हो रही है, जिससे निर्माण कार्य संभव हुआ है।
ग्वालियर को मिलेगा हरित भविष्य
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य सिर्फ कचरा प्रबंधन नहीं है, बल्कि ग्वालियर को एक हरित, स्वच्छ और स्मार्ट शहर बनाना है। साथ ही डबरा, दतिया और बमौर जैसे आस-पास के क्षेत्रों से भी कचरा यहां लाया जाएगा, जिससे क्षेत्रीय स्वच्छता को भी बढ़ावा मिलेगा।
शहर को मिलेगी नई ऊर्जा और नई पहचान
केदारपुर CBG प्लांट ग्वालियर को न केवल कचरे की समस्या से राहत दिलाएगा, बल्कि हरित ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई पहचान भी देगा। यह परियोजना पर्यावरण संरक्षण, रोजगार सृजन और आर्थिक लाभ तीनों स्तरों पर फायदेमंद साबित होगी।