रविवार को ग्वालियर में मौसम ने एक बार फिर कहर बरपाया। तेज हवाओं और मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया।
- फूलबाग चौराहा बना तालाब, कई सड़कें डूबीं
- दो पेड़ और बिजली के खंभे गिरे, बिजली गुल
- रेलवे स्टेशन की हालत खराब, यात्रियों को कीचड़ में चलना पड़ा
- निचली बस्तियों और कॉलोनियों में घरों तक पहुंचा पानी
- 2597 बिजली शिकायतें सिर्फ एक दिन में दर्ज
तेज बारिश और आंधी से शहर अस्त-व्यस्त
रविवार को आई बारिश के साथ तेज हवाओं ने ग्वालियर की रफ्तार थाम दी। कई इलाकों में भारी जलभराव हो गया, जिससे सड़कें नदियों में तब्दील हो गईं। कॉलोनियों में बने मकानों में पानी घुस गया।
प्रमुख जलभराव वाले स्थान:
- फूलबाग चौराहा
- राजमाता चौराहा, सिटी सेंटर
- रूपसिंह स्टेडियम के पास
- न्यू हाईकोर्ट रोड
- लक्कड़ख़ाना पुल के नीचे
फायर ब्रिगेड की टीमों ने 15 स्थानों पर पनडुब्बी और मड पंप से पानी निकाला।
रेलवे स्टेशन: यात्रियों की मुसीबत
बारिश ने रेलवे स्टेशन को भी नहीं छोड़ा। पुनर्विकास कार्य के चलते यात्री कीचड़ और पानी में चलने को मजबूर हुए। प्लेटफॉर्म पर शेड की कमी ने स्थिति और बदतर बना दी।
बिजली व्यवस्था चरमराई, पेड़ और खंभे गिरे
- सिटी सेंटर साइट नंबर 1 पर पेड़ और खंभा गिरा
- अंबेडकर नगर में बिजली खंभा मकान पर गिरा
- पूरे शहर में बिजली गुल, कुल 2597 शिकायतें दर्ज
- शाम तक कई इलाकों में बिजली बहाल नहीं हो सकी
नगर निगम और PHE विभाग की लापरवाही उजागर
प्रमुख कार्रवाइयां:
- झांसी रोड की धंसी सड़क पर तत्कालीन प्रभारी यंत्री सुरेश अहिरवार और सहायक यंत्री महेंद्र प्रसाद अग्रवाल को नोटिस
- उपयंत्री आशीष राजपूत निलंबित
- पीएचई उपयंत्री राजीव पांडेय व अजय वर्मा निलंबित
- ठेकेदार की मॉनिटरिंग न करने पर सहायक यंत्री को नोटिस
कॉलोनियों में लोगों की खुद की जद्दोजहद
- लूटपुरा: सीवर चेंबर ओवरफ्लो से घरों में पानी
- सती विहार कॉलोनी: खुद ही निकालना पड़ा पानी
- इंदिरा कॉलोनी और प्रगति नगर: शिकायत के बाद भी मदद नहीं पहुंची
फायर ब्रिगेड मुख्यालय भी जलमग्न
जिस विभाग को आपदा में राहत पहुंचानी थी, वही खुद पानी में डूब गया। फायर ब्रिगेड मुख्यालय में भी पानी भर गया, जिससे स्थिति की गंभीरता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
यह भी पढें: मध्य प्रदेश की 23 जून 2025 की 25 बड़ी खबरें: भोपाल, इंदौर से रायसेन तक की ताजा अपडेट
ग्वालियर की यह बारिश सिर्फ एक मौसमीय घटना नहीं, बल्कि नगर प्रबंधन की लापरवाही और शहर की जर्जर आधारभूत संरचना की पोल खोलने वाला उदाहरण है। जनजीवन पर पड़ी इस मार से साफ है कि अब शहर को योजनाबद्ध और टिकाऊ व्यवस्थाओं की सख्त जरूरत है।