BY: Yoganand Shrivastva
राज्य सरकार के 11 विभागों ने लगभग 50 दिनों की प्रक्रिया के बाद ऐसे लोगों की सूची तैयार की है, जो लगातार झूठी या दबाव बनाने वाली शिकायतें करते हैं। इस सूची में 123 व्यक्तियों के नाम शामिल किए गए हैं, जिन्होंने कुल 1099 शिकायतें दर्ज कराई हैं।
सबसे अधिक शिकायतें पुलिस विभाग में
- कुल 1099 में से 994 शिकायतें पुलिस विभाग से संबंधित हैं, जिन्हें 99 व्यक्तियों ने किया।
- वहीं अन्य 10 विभागों में 24 लोगों ने 105 शिकायतें दर्ज कराईं।
- अभी 17 अन्य विभागों — जिनमें नगर निगम और राजस्व विभाग भी शामिल हैं— से रिपोर्ट आना बाकी है, जिसके बाद यह संख्या और बढ़ सकती है।
303 शिकायतें कर बना नंबर-1
- भारत सिंह नामक व्यक्ति भाइयों के बीच चल रहे जमीन बंटवारे के विवाद को लेकर अब तक 303 शिकायतें कर चुके हैं।
- मामला मूल रूप से राजस्व विभाग का है, पर शिकायतें लगातार पुलिस पर की गईं, इसलिए उन्हें “आदतन शिकायतकर्ता” की सूची में शीर्ष पर रखा गया है।
1–2 शिकायत करने वालों को भी सूची में जोड़ा गया
कुछ लोग जिन्होंने केवल 1–2 शिकायतें की थीं, उन्हें भी विभागों ने सूची में शामिल कर दिया। जैसे—
- बेताल भहोरिया – चेक बाउंस मामले में वारंट की निष्पत्ति को लेकर शिकायत।
- विजय शर्मा – किराएदार द्वारा किराया न देने की शिकायत, जिसे पुलिस ने विवादित बताया।
- प्रीति – प्लॉट के एडवांस पेमेंट विवाद को लेकर बार-बार शिकायतें।
विभागों के अनुसार, इनमें से कई शिकायतें केवल दबाव बनाने के उद्देश्य से की गईं।
पत्नी के घर नहीं आने पर 24 शिकायतें
- उदय नाम के व्यक्ति ने पत्नी के साथ चल रहे पारिवारिक विवाद में अब तक 24 शिकायतें की हैं।
- पति शाजापुर में और पत्नी ग्वालियर में रहती हैं, मामला कोर्ट में होने के कारण पुलिस हस्तक्षेप संभव नहीं है, फिर भी बार-बार शिकायतें की जा रही हैं।
‘फोर्स क्लोज’ के बाद भी दोबारा शिकायतें
कई मामलों में शिकायतों को अधिकारियों द्वारा ‘फोर्स क्लोज’ किया गया, लेकिन शिकायतकर्ता बाद में वही शिकायत फिर से कर देते हैं।
- उदाहरण के तौर पर, प्रेम ने जमीन सीमांकन विवाद में कलेक्टर से भी शिकायत की और ‘फोर्स क्लोज’ किए जाने पर पुनः शिकायत दर्ज की।
यह पूरी रिपोर्ट दर्शाती है कि कई मामलों में लोग व्यक्तिगत, पारिवारिक या आर्थिक विवादों में पुलिस और अन्य विभागों पर लगातार अनावश्यक शिकायतें कर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं, जिनसे सरकारी तंत्र पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।





