9 अप्रैल 2025: डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह, जो बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों में सजा काट रहे हैं, को हरियाणा सरकार ने एक बार फिर 21 दिन के फर्लो पर रिहा कर दिया है। यह पिछले एक साल में उनकी पांचवीं और 2020 से अब तक कुल 13वीं रिहाई है।
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क्या है फर्लो और पैरोल में अंतर?
- फर्लो (Furlough): यह जेल नियमों के तहत एक तयशुदा अवकाश होता है जो हर कैदी को उसकी सजा अवधि के हिसाब से मिलता है। इसे कैदी का कानूनी अधिकार माना जाता है।
- पैरोल (Parole): यह विशेष परिस्थितियों में दिया जाता है, जैसे परिवार में किसी की मृत्यु या गंभीर बीमारी। इसे अधिकार नहीं, बल्कि सरकार की ओर से दी गई रियायत माना जाता है।
राम रहीम को कितनी बार मिल चुकी है रिहाई?
- 2024 में अब तक: 5 बार (कुल 142 दिन जेल से बाहर)
- 2020 से अब तक: 13 बार (कुल 326 दिन जेल से बाहर)
- इस बार की खास बात: पहली बार उन्हें सिरसा स्थित डेरा मुख्यालय जाने की अनुमति मिली है। इससे पहले वे केवल उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित शाह सतनाम जी आश्रम में ही रुक सकते थे।

क्यों उठ रहे हैं सवाल?
- चुनावी समय पर रिहाई:
- 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले भी राम रहीम को पैरोल मिली थी।
- विपक्ष का आरोप है कि सरकार डेरा के वोट बैंक को खुश करने के लिए ऐसे फैसले ले रही है।
- पिछली हिंसा का साया:
- 25 अगस्त 2017 को राम रहीम के दोषी ठहराए जाने के बाद पंचकूला और अन्य जगहों पर हुई हिंसा में 40 लोगों की मौत हो गई थी।
- सुरक्षा एजेंसियों को डर है कि उनकी रिहाई से फिर से हिंसा भड़क सकती है।
- अन्य मामले:
- बलात्कार केस: 2002 में दो साध्वियों के साथ बलात्कार का मामला।
- हत्या केस: 2002 में डेरा के एक पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की हत्या का मामला।
- नरसंहार केस: 2015 में सिरसा में 400 अनुयायियों की रहस्यमय मौत का मामला (अभी कोर्ट में चल रहा है)।
सरकार और प्रशासन का पक्ष
- हरियाणा सरकार का कहना है कि रिहाई जेल नियमों के तहत ही दी गई है।
- सिरसा के जिला मजिस्ट्रेट ने डेरा मुख्यालय जाने की अनुमति दी है।
- सुरक्षा के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
डेरा सच्चा सौदा का प्रभाव
- राजनीतिक पहुंच: डेरा के लाखों अनुयायी हैं, जो पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में महत्वपूर्ण वोट बैंक माने जाते हैं।
- सामाजिक विवाद: राम रहीम पर सिख धर्म की नकल करने और अश्लील फिल्में बनाने के भी आरोप लगते रहे हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
- कानूनी जानकार: “बार-बार की रिहाई से न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं।”
- राजनीतिक विश्लेषक: “यह साफ तौर पर वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा है।”
आगे की कार्रवाई
- पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में इस मामले में याचिका दायर की जा सकती है।
- सामाजिक संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन की योजना बनाई है।
निष्कर्ष: गुरमीत राम रहीम की बार-बार की रिहाई न सिर्फ कानूनी बहस को जन्म दे रही है, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक तनाव भी बढ़ा रही है। अब नजर कोर्ट और चुनाव आयोग पर है कि वे इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं।