BY: Yoganand Shrivastva
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, जिन्हें 2008 के मालेगांव बम धमाके में आरोपी बनाया गया था, 31 जुलाई 2025 को NIA की स्पेशल कोर्ट द्वारा सभी आरोपों से बरी कर दिया गया। कोर्ट में यह साबित नहीं हो सका कि जिस मोटरसाइकिल से विस्फोट हुआ, वह उनके नाम पंजीकृत थी। उनका यह सफर – एक आरोपी से भोपाल की सांसद बनने तक – बेहद चर्चित और विवादों से भरा रहा है।
टिकट से लेकर सांसद बनने तक: 2019 चुनाव की कहानी
23 मार्च 2019, मिंटो हॉल, भोपाल।
तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। इसके बाद यह सीट हाई-प्रोफाइल बन गई।
भाजपा की ओर से कई नामों पर चर्चा हुई – शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, उमा भारती – लेकिन जब पार्टी ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मैदान में उतारा, तो सभी हैरान रह गए।
भाजपा ने साध्वी को टिकट क्यों दिया?
- भाजपा का गढ़ बचाने की चुनौती:
1984 के बाद भोपाल सीट पर कांग्रेस कभी नहीं जीत सकी थी। मगर दिग्विजय जैसे दिग्गज नेता को सामने देखकर भाजपा को लगा कि उसे हिंदुत्व का मजबूत चेहरा उतारना होगा। - ध्रुवीकरण की संभावना:
करीब 5 लाख मुस्लिम मतदाताओं के कारण कांग्रेस के पक्ष में वोटों के ध्रुवीकरण की संभावना थी। ऐसे में भाजपा को हिंदू वोटों को एकजुट करना जरूरी था। - कांग्रेस की पकड़ मजबूत हो रही थी:
2018 के विधानसभा चुनाव में भोपाल की 8 में से 3 सीटें कांग्रेस ने जीती थीं।
प्रचार के दौरान विवादों में रहीं साध्वी प्रज्ञा
1. बाबरी ढांचा पर बयान:
साध्वी ने कहा, “ढांचा गिराने का अफसोस क्यों होगा? हमें गर्व है।” इसके चलते उन पर चुनाव आयोग ने 72 घंटे का प्रचार बैन लगाया।
2. हेमंत करकरे पर विवादित टिप्पणी:
उन्होंने कहा कि एटीएस चीफ करकरे की मौत उनके श्राप से हुई, बाद में बयान वापस लेना पड़ा।
3. दिग्विजय को आतंकी बताया:
उन्हें हराने के लिए “एक संन्यासी को फिर खड़ा होना पड़ा” जैसे शब्दों का प्रयोग किया।
4. नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया:
उन्होंने कहा, “गोडसे देशभक्त थे, हैं और रहेंगे।”
इस बयान पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी नाराजगी जताई थी और कहा था, “मैं दिल से उन्हें माफ नहीं कर पाऊंगा।”
चुनावी जीत और खर्च
23 मई 2019 को चुनाव परिणाम में उन्होंने दिग्विजय सिंह को 3.64 लाख वोटों से हराया।
उन्होंने कुल 45.46 लाख रुपये चुनाव में खर्च किए। खुद की राशि सिर्फ 11 हजार रुपये थी, बाकी राशि पार्टी और दानदाताओं से मिली।
सांसद बनीं, लेकिन विवादों से पीछा नहीं छूटा
संसद में फिर गोडसे का बचाव
DMK सांसद के भाषण के दौरान उन्होंने गोडसे को “देशभक्त” कह कर फिर विवाद खड़ा कर दिया।
इसके बाद भाजपा ने उन्हें रक्षा सलाहकार समिति से हटा दिया और संसदीय दल की बैठक से भी दूर कर दिया।
“गोमूत्र से कोरोना से बचा जा सकता है”
कोविड काल में उन्होंने दावा किया कि गोमूत्र पीने से उन्हें कोरोना नहीं हुआ, जिससे चिकित्सा विशेषज्ञों ने असहमति जताई।
“घरों में हथियार रखें” बयान
2022 में उन्होंने कहा, “घरों में सब्जी काटने वाले चाकू भी तेज रखिए।”
इस पर IPC की धारा 153A और 295A के तहत मामला दर्ज किया गया।
दोबारा टिकट क्यों नहीं मिला?
सांसद रहते हुए साध्वी प्रज्ञा अपने काम से ज्यादा विवादित बयानों की वजह से चर्चा में रहीं।
इस कारण 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया।
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का राजनीतिक सफर असामान्य और बेमिसाल रहा। एक ओर उन्होंने एक हाई-प्रोफाइल चुनाव जीतकर इतिहास रचा, तो दूसरी ओर उनके विवादित बयान भाजपा की छवि के लिए कई बार संकट बन गए। अब, बरी होने के बाद उनका अगला कदम क्या होगा – ये देखना बाकी है।