मुंबई के प्रसिद्ध लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट (LKMM) से जुड़ा एक बड़ा घोटाला सामने आया है। ट्रस्ट के वर्तमान ट्रस्टियों ने पूर्व ट्रस्टियों पर ₹2000 करोड़ से अधिक की हेराफेरी करने का आरोप लगाया है। इस मामले में अब तक तीसरी एफआईआर दर्ज की जा चुकी है।
क्या है पूरा मामला?
लीलावती अस्पताल मुंबई का एक प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान है, जिसे LKMM ट्रस्ट संचालित करता है। ट्रस्ट के वर्तमान पदाधिकारियों ने आरोप लगाया है कि पूर्व ट्रस्टियों ने अस्पताल और ट्रस्ट से जुड़े वित्तीय लेन-देन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां कीं और अनियमित तरीके से करोड़ों रुपये का घोटाला किया।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जांच की मांग
घोटाले की गंभीरता को देखते हुए ट्रस्ट ने अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) को भी पत्र लिखकर त्वरित जांच की मांग की है। ट्रस्ट ने अनुरोध किया है कि मामले की जांच धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की जाए, ताकि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके।
एफआईआर में क्या आरोप लगाए गए हैं?
इस मामले में दर्ज एफआईआर में पूर्व ट्रस्टियों पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं:
- अस्पताल और ट्रस्ट के फंड का दुरुपयोग।
- फर्जी दस्तावेजों के जरिए संपत्ति और धन की हेराफेरी।
- निजी हितों के लिए ट्रस्ट के पैसे का गलत इस्तेमाल।
- अस्पताल की वित्तीय व्यवस्था में धांधली और रिकॉर्ड में हेरफेर।
जांच एजेंसियां हरकत में, जल्द होगी कार्रवाई
मुंबई पुलिस और अन्य जांच एजेंसियां इस घोटाले की विस्तृत जांच कर रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पास मामला जाने के बाद आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत भी कार्रवाई हो सकती है।
क्या कह रहे हैं अस्पताल और ट्रस्ट के अधिकारी?
ट्रस्ट के वर्तमान अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल को बचाने और उसकी प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने जांच एजेंसियों से जल्द से जल्द घोटाले से जुड़े सभी सबूत इकट्ठा कर दोषियों को सजा दिलाने की मांग की है।
आगे क्या होगा?
पुलिस और ED की जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई तय होगी।
अगर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला साबित होता है, तो संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है और दोषियों को जेल की सजा हो सकती है।
लीलावती अस्पताल की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए सख्त नियम लागू किए जा सकते हैं।