आगरा के मोती कटरा क्षेत्र से नकली दवाओं के 15 बोरे बरामद होने के बाद STF ने बड़े सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है। इस मामले में कई चौंकाने वाले नाम सामने आ चुके हैं और अब तक करीब 50 लोग संदिग्धों की सूची में शामिल किए जा चुके हैं।
STF कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) और CCTV फुटेज के आधार पर नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है। आरोपित हिमांशु अग्रवाल और उसके साथियों की दुकानों व गोदामों से DVR भी कब्जे में ली गई है।
हिमांशु अग्रवाल का नेटवर्क देशभर में फैला
जांच में सामने आया है कि यह गिरोह केवल आगरा तक सीमित नहीं, बल्कि देशव्यापी नेटवर्क चला रहा है। इसमें सप्लायर से लेकर थोक डीलरों तक की भूमिका संदिग्ध है। STF का फोकस इस पूरे चेन को तोड़ने पर है।
चार टीमें लगीं दबिश में
नकली दवा कारोबार को ध्वस्त करने के लिए STF ने चार अलग-अलग टीमों का गठन किया है।
- टीमें आगरा व आसपास के जिलों में छापेमारी कर रही हैं।
- गिरोह से जुड़े मेडिकल स्टोर संचालकों और एजेंटों की भूमिका की जांच हो रही है।
- अब तक करोड़ों की नकली दवाएं ड्रग विभाग द्वारा सील की जा चुकी हैं।
रिश्वत कांड से जांच और गहरी
मामला तब और गंभीर हो गया, जब आरोपित पक्ष ने STF को 1 करोड़ रुपए रिश्वत देने की कोशिश की। इसके बाद औषधि विभाग भी सक्रिय हो गया है और संबंधित मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस की जांच शुरू कर दी गई है।
मुख्य आरोपियों की तलाश
STF और पुलिस ने गिरोह के मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए विशेष अभियान शुरू किया है।
- सुल्तानपुरा निवासी यूनिस और वारिस पुत्रगण खलील
- जगदीशपुरा के लड़ामदा निवासी फरहान
- आरोपित हिमांशु अग्रवाल
इनकी गिरफ्तारी के लिए STF, कोतवाली पुलिस और सर्विलांस टीम लगातार छापेमारी कर रही है।
कॉल डिटेल से खुल रहा नेटवर्क
STF अब 50 संदिग्धों की कॉल डिटेल निकाल रही है ताकि नेटवर्क से जुड़े हर व्यक्ति तक पहुंचा जा सके। इसके साथ ही पुराने नकली दवा मामलों की केस हिस्ट्री भी खंगाली जा रही है।





