BY: Yoganand Shrivastva
ग्वालियर, मध्य प्रदेश में जाति प्रमाण-पत्र घोटाले का बड़ा खुलासा हुआ है। ग्वालियर एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि प्रदेशभर में फर्जी जाति प्रमाण-पत्रों के आधार पर 25 सरकारी अफसर और कर्मचारी विभिन्न विभागों में नौकरी कर रहे हैं। इन सभी के खिलाफ अब एफआईआर दर्ज कर दी गई है, और जल्द ही 40 से अधिक आरोपियों की गिरफ्तारी की तैयारी भी शुरू कर दी गई है।
सबसे ज़्यादा फर्जी प्रमाण-पत्र ग्वालियर में बने
जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि सबसे ज्यादा फर्जी प्रमाण-पत्र ग्वालियर जिले से जारी किए गए। इन दस्तावेजों के ज़रिए ग्वालियर-चंबल, मालवा और अन्य क्षेत्रों के अफसरों ने सरकारी विभागों में नियुक्ति प्राप्त की। जांच में यह भी सामने आया है कि ये लोग राजस्व, पुलिस, स्वास्थ्य, मेडिकल और पीडब्ल्यूडी जैसे महत्वपूर्ण विभागों में कार्यरत हैं।
शिकायत से लेकर जांच तक का पूरा घटनाक्रम
दो महीने पहले एसटीएफ डीजी पंकज कुमार श्रीवास्तव को यह शिकायत गौरीशंकर राजपूत नामक व्यक्ति द्वारा प्राप्त हुई थी। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए एसपी राजेश सिंह भदौरिया के निर्देशन में एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित की गई। पांच अलग-अलग टीमों को बनाकर ग्वालियर, इंदौर, शाजापुर, होशंगाबाद, विदिशा और बैतूल सहित कई जिलों में पड़ताल की गई।
नौकरी भी मिली और प्रमाण-पत्र का ‘वेरिफिकेशन’ भी हो गया
जांच में यह भी सामने आया कि यह फर्जीवाड़ा सिर्फ दस्तावेज़ी हेरफेर तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें विभिन्न विभागों के कर्मचारी और अधिकारी भी शामिल थे। इन जालसाजों ने जॉइनिंग के बाद वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को भी प्रभावित किया, जिससे फर्जी प्रमाण-पत्र को सही बताकर स्थायी नियुक्ति हासिल कर ली गई। ग्वालियर के लश्कर एसडीएम ऑफिस में कई मामलों का वेरिफिकेशन किया गया, जो अब जांच के घेरे में है।
शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों पर गिरी गाज
FIR जिन 25 कर्मचारियों पर दर्ज की गई है, उनमें से कई ग्वालियर जिले के शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं। इन आरोपियों में जवाहर सिंह, सीताराम, सरला देवी, राजेश कुमार, कुसुमा देवी और सुनीता रावत जैसे नाम शामिल हैं। इसके अलावा एक डॉक्टर और एक इंजीनियर का नाम भी सूची में सामने आया है, जिनकी पहचान और दस्तावेजों की पुष्टि की जा रही है।
फर्जी प्रमाण-पत्र बनाने और ‘सत्यापन’ कराने की साजिश
एसपी एसटीएफ राजेश भदौरिया ने इस पूरे मामले की गंभीरता को स्वीकारते हुए कहा,
“जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि सरकारी विभागों में कार्यरत कुछ कर्मचारी और अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी जाति प्रमाण-पत्र तैयार किए गए और बाद में उनका वेरिफिकेशन भी करवा दिया गया। यह केवल व्यक्तिगत लाभ नहीं, बल्कि एक संगठित आपराधिक गतिविधि है।”
आगे क्या? – जल्द होंगी गिरफ्तारियां
एसटीएफ सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में 40 से 45 लोगों की गिरफ्तारी संभावित है। इनमें से कई लोग सीधे तौर पर दस्तावेजों की फर्जीवाड़े और सत्यापन प्रक्रिया में संलिप्त पाए गए हैं। एफआईआर दर्ज होने के बाद अब अदालती कार्रवाई और सरकारी विभागों से बर्खास्तगी की प्रक्रिया भी जल्द शुरू होगी।
सरकारी तंत्र की साख पर सवाल
फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के जरिए सरकारी नौकरी पाना न सिर्फ अन्य योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन है, बल्कि यह आरक्षण व्यवस्था की साख पर भी सवाल खड़ा करता है। यह घोटाला दिखाता है कि किस तरह कुछ लोग आरक्षण नीति का दुरुपयोग कर रहे हैं और कैसे सरकारी कर्मचारी भी इन घोटालों में भागीदार बनते जा रहे हैं।
अब निगाहें एसटीएफ की कार्रवाई और न्यायिक प्रक्रिया पर टिकी हैं, जिससे यह तय होगा कि ऐसे घोटालों पर कितनी सख्ती से लगाम लगाई जा सकती है।