आज के डिजिटल युग में जहां तकनीक ने हमारी जिंदगी आसान बनाई है, वहीं साइबर अपराधियों ने भी ठगी के नए-नए तरीके ईजाद कर लिए हैं। ‘डिजिटल अरेस्ट’ एक ऐसा ही डरावना और नया फ्रॉड है, जिसमें लोगों को पुलिस और एजेंसियों के नाम पर धमकाकर लाखों रुपये ऐंठ लिए जाते हैं।
आगरा की एक युवती के साथ ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया, जिसमें उसे 31 दिन तक स्काइप कॉल्स के जरिए डराकर 16.20 लाख रुपये हड़प लिए गए।
🧠 डिजिटल अरेस्ट क्या होता है?
डिजिटल अरेस्ट एक साइबर ठगी का तरीका है, जिसमें ठग खुद को पुलिस, CBI, ईडी या नारकोटिक्स विभाग का अधिकारी बताकर व्यक्ति को यह कहकर डराते हैं कि उसका नाम किसी अपराध में शामिल है। इसके बाद:
- फर्जी दस्तावेज और गिरफ्तारी नोटिस भेजे जाते हैं
- पीड़ित को वीडियो कॉल पर स्काइप के जरिए जोड़ा जाता है
- घर से बाहर निकलने और कॉल काटने पर धमकी दी जाती है
- लगातार मानसिक दबाव बनाकर पैसे ट्रांसफर करने को मजबूर किया जाता है
📍 आगरा की युवती के साथ क्या हुआ?
▶️ फर्जी कूरियर बना बहाना
- 24 दिसंबर 2024 को शाहगंज क्षेत्र की एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाली युवती को विदेशी नंबर से व्हाट्सएप कॉल आई।
- कॉल पर एक लड़की ने खुद को “मेघा” बताया और कहा कि युवती के नाम से सिंगापुर भेजे गए पार्सल में 5 पासपोर्ट, 3 क्रेडिट कार्ड और प्रतिबंधित दवाएं मिली हैं।
▶️ पुलिस और CBI बनकर धमकाया
- “मेघा” ने कहा कि मामला मुंबई पुलिस को भेज दिया गया है।
- फिर एक व्यक्ति ने खुद को “हेमराज” नामक पुलिस अधिकारी बताकर युवती से संपर्क किया।
- फर्जी CBI डॉक्युमेंट्स भेजे गए जिसमें युवती का नाम और आधार नंबर था।
- स्काइप ऐप से जोड़कर उसे घर में ही कैद कर लिया गया, बाहर जाने और कॉल काटने की सख्त मनाही की गई।
💸 ऐसे गंवाए 16.20 लाख रुपये
- 27 दिसंबर से शुरू हुई धमकियों का सिलसिला 23 जनवरी तक चला।
- इस दौरान युवती ने चार अलग-अलग बैंक खातों में 16.20 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
- जब ठगों ने 5 लाख रुपये और मांगे और रकम नहीं मिली तो उसका निजी वीडियो रिकॉर्ड कर लिया और कॉल काट दी।
🔍 कब हुआ खुलासा?
- कॉल कटने के बाद युवती ने अपने दोस्तों से बात की, जिन्होंने तुरंत बताया कि यह एक डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड है।
- इसके बाद युवती ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
🕵️ आरोपी की गिरफ्तारी और जांच
- 5 महीने की जांच के बाद पुलिस ने सीकर (राजस्थान) से रविंद्र प्रसाद वर्मा नामक एक आरोपी को गिरफ्तार किया।
- रविंद्र के खाते में 9 लाख रुपये जमा हुए थे।
- वह ई-रिक्शा चालक है, लेकिन हाल ही में उसने 60,000 रुपये का आईफोन खरीदा था।
- पुलिस के अनुसार वह गिरोह की सबसे निचली कड़ी है और उसने अभी तक अपने साथियों के नाम नहीं बताए हैं।
🌍 कहां-कहां से किए गए कॉल?
- वीडियो कॉल्स हांगकांग, तमिलनाडु और असम की वर्चुअल आईडी से किए गए थे।
- ठगों ने युवती को लगातार स्काइप कॉल पर निगरानी में रखा, जिससे वह मानसिक रूप से टूट गई।
📢 पुलिस की चेतावनी: इन बातों का रखें ध्यान
DCP सिटी सोनम कुमार के अनुसार:
- कोई भी पुलिस अधिकारी फोन पर गिरफ्तारी नहीं करता
- किसी भी कॉल पर फर्जी डॉक्युमेंट्स भेजे जाएं तो असली जांच करें
- यदि कोई व्यक्ति स्काइप या वीडियो कॉल के जरिए धमकाए तो तुरंत कॉल काटें
- ऐसी किसी भी घटना की जानकारी 1930 हेल्पलाइन नंबर या नजदीकी साइबर थाना में दें
✅ खुद को ऐसे बचाएं डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड से
🔐 सुरक्षा के उपाय:
- अनजान नंबरों से आए व्हाट्सएप या वीडियो कॉल्स से सावधान रहें
- किसी भी सरकारी अधिकारी या एजेंसी से बात करने से पहले उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर पुष्टि करें
- स्काइप, टीम व्यूअर, या अन्य रिमोट एक्सेस एप्स से किसी को डिवाइस एक्सेस न दें
- व्यक्तिगत जानकारी जैसे आधार नंबर, पासपोर्ट, बैंक डिटेल्स फोन पर साझा न करें
📌 निष्कर्ष: जानकारी ही सुरक्षा है
आगरा की युवती का मामला बताता है कि डिजिटल ठगी किस हद तक लोगों को मानसिक और आर्थिक नुकसान पहुंचा सकती है। इस तरह के मामलों से बचने के लिए जरूरी है कि हम सजग, सतर्क और जागरूक रहें।
डिजिटल अरेस्ट जैसे फ्रॉड से बचने का सबसे अच्छा उपाय है –
“ना डरे, ना करें पेमेंट – तुरंत पुलिस को सूचना दें।”
📲 आप क्या करें?
- यह जानकारी अपने दोस्तों और परिवार से ज़रूर शेयर करें
- किसी भी डिजिटल फ्रॉड की शिकायत तुरंत www.cybercrime.gov.in पर करें
- अपने मोबाइल में 1930 साइबर हेल्पलाइन नंबर सेव कर लें





