BY: Yoganand Shrivastva
हिमाचल प्रदेश इस समय भीषण प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। इसी दौरान, मंडी से भाजपा सांसद कंगना रनौत के बयान ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। राज्य के राजस्व और बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कंगना पर तीखा हमला करते हुए उनसे सांसद पद से इस्तीफे की मांग की है।
मंत्री ने क्यों उठाई इस्तीफे की मांग?
जगत सिंह नेगी ने कहा, “अगर कंगना रनौत को एक सांसद के तौर पर मिली जिम्मेदारियाँ बोझ लग रही हैं, तो उन्हें तुरंत पद छोड़ देना चाहिए। राज्य को ऐसे जनप्रतिनिधि की जरूरत है जो लोगों के दर्द को समझ सके और हर हाल में उनके साथ खड़ा रहे।”
नेगी के मुताबिक, मौजूदा आपदा की स्थिति में जनता को अपने नेता की सक्रिय उपस्थिति की जरूरत है, न कि जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने वाले बयानों की।
विवाद की जड़ क्या है?
दरअसल, कंगना रनौत ने हाल ही में आपदा-प्रभावित मंडी जिले का दौरा किया था। वहां उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था कि राहत और बचाव कार्य राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा था:
“मैं एक सांसद के नाते प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को स्थिति की जानकारी दे सकती हूं और केंद्र से सहायता की मांग कर सकती हूं। मेरा कोई प्रशासनिक तंत्र नहीं है। मैं सिर्फ डीसी (उपायुक्त) के साथ बैठक कर सकती हूं और रिपोर्ट साझा कर सकती हूं।“
कंगना के इस बयान को कांग्रेस और राज्य सरकार ने गैर-जिम्मेदाराना करार दिया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि संकट की घड़ी में सांसद को जनता के साथ खड़े होने की जरूरत है, न कि जिम्मेदारी से किनारा करने की।
मंडी में कैसी है स्थिति?
राज्य के मंडी जिले में बादल फटने, अचानक आई बाढ़, और भूस्खलन की लगभग 10 घटनाएं हो चुकी हैं। प्रशासन के अनुसार:
- 15 लोगों की जान जा चुकी है
- 27 लोग लापता हैं
- 5 लोग घायल हुए हैं
सैकड़ों परिवार प्रभावित हुए हैं और कई गांवों का संपर्क टूट चुका है। राहत कार्य लगातार जारी हैं, लेकिन मौसम की मार और दुर्गम इलाके इसमें बाधा बन रहे हैं।
राजनीतिक रंग लेता मामला
कंगना रनौत का यह पहला राजनीतिक विवाद नहीं है, लेकिन यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब प्रदेश गंभीर आपदा से गुजर रहा है। ऐसे में उनके शब्दों ने राजनीतिक बहस को और तीखा कर दिया है। विपक्ष लगातार यह सवाल उठा रहा है कि क्या कंगना सिर्फ प्रचार तक सीमित हैं या वाकई जमीनी काम करने के लिए तैयार हैं।
राज्य सरकार के मंत्री का यह बयान संकेत देता है कि भाजपा सांसद और कांग्रेस शासित राज्य सरकार के बीच रिश्ते और ज्यादा तल्ख हो सकते हैं।
कंगना रनौत के बयान और उस पर राज्य मंत्री की प्रतिक्रिया ने हिमाचल की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। यह विवाद केवल जिम्मेदारी तय करने तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि यह सवाल बन गया है कि क्या एक सांसद सिर्फ केंद्र और राज्य सरकार के बीच सेतु है, या संकट की घड़ी में जनता के बीच खड़ा होने वाला प्रतिनिधि?
आने वाले दिनों में यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है, खासकर जब राज्य आपदा से उबरने की कोशिश कर रहा है और लोगों को मदद और भरोसे की सबसे ज्यादा जरूरत है।





