BY: Yoganand Shrivastva
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक खेतिहर मजदूर के घर ₹77,110 का बिजली बिल भेजा गया है। मामला वरोरा तहसील के अर्जुनी शेगांव गांव का है, जहां दादा लटारु भोयर नामक मजदूर के घर में केवल दो बल्ब और एक बंद पड़ा पंखा है।
बिना भारी उपकरण, फिर भी हजारों यूनिट की खपत!
भोयर परिवार चार लोगों के साथ एक छोटे से दो कमरे के मकान में रहता है। घर में न तो एसी है, न फ्रिज और न ही कोई अन्य भारी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण। इसके बावजूद उन्हें जुलाई महीने में 3,841 यूनिट खपत के साथ भारी-भरकम बिल थमा दिया गया।
जब भोयर ने पिछले वर्ष के बिजली उपयोग का रिकार्ड देखा, तो पता चला कि पूरे साल में कुल 516 यूनिट ही खपत हुई थी। सबसे अधिक अगस्त 2024 में 106 यूनिट, और बाकी महीनों में अक्सर 50 यूनिट से भी कम बिजली उपयोग हुआ।
तकनीकी गड़बड़ी ने बढ़ाई मुसीबत
23 जुलाई को जब भोयर परिवार ने यह बिल लेकर स्थानीय सहायक अभियंता संतोष खोब्रागडे से संपर्क किया, तो उन्होंने इसे तकनीकी गलती बताया। उन्होंने मजदूर को सलाह दी कि वह केवल औसतन ₹1000 का बिल भर दे, अगली बार उसका बिल स्वतः संशोधित हो जाएगा।
बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल
यह घटना न सिर्फ भोयर परिवार के लिए, बल्कि हजारों बिजली उपभोक्ताओं के लिए चेतावनी है। सवाल उठता है कि अगर यह गरीब परिवार समय पर अधिकारियों तक नहीं पहुंचता, तो क्या उन्हें वाकई ₹77 हजार चुकाने पड़ते?
उपभोक्ताओं के लिए सबक
यह मामला स्पष्ट करता है कि बिजली उपभोक्ताओं को सतर्क रहने की जरूरत है। किसी भी अनियमित बिल को नजरअंदाज न करें, बल्कि तुरंत स्थानीय कार्यालय में जाकर समाधान मांगें।