मध्यप्रदेश में कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा को लेकर विवाद और गहरा गया है। कायस्थ समुदाय से जुड़े संगठन “कायस्थम मध्यप्रदेश” ने उनके हालिया बयान और माफीनामे को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और उनके कथाओं के बहिष्कार की अपील की है।
माफी नहीं, बचाव: कायस्थम अध्यक्ष की तीखी टिप्पणी
कायस्थम मध्यप्रदेश के अध्यक्ष प्रलय श्रीवास्तव ने पंडित मिश्रा के 17 जून को दिए गए माफीनामे को ‘उलझाने वाला’ बताया।
उनका कहना है:
- “पंडित मिश्रा ने यह दावा किया कि वह जो कुछ व्यासपीठ से बोलते हैं, वह सब प्रमाणित होता है।”
- “उन्होंने कहा कि उनके शब्द वेद और पुराणों पर आधारित हैं।”
- “परंतु उन्होंने अपनी गलती को अब तक नहीं स्वीकारा है।”
प्रलय श्रीवास्तव का कहना है कि माफी मांगने का यह तरीका स्वीकार्य नहीं है। उनके अनुसार पंडित मिश्रा शिव महापुराण का सहारा लेकर सिर्फ खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
श्री चित्रगुप्त जी के अनुयायियों से बहिष्कार की अपील
कायस्थम संगठन का मानना है कि यह विवाद सिर्फ एक कथा वाचक का नहीं, बल्कि एक बुद्धिजीवी समाज और सनातन धर्म के अनुयायियों की आस्था से जुड़ा हुआ है।
प्रलय श्रीवास्तव ने कहा:
“पंडित प्रदीप मिश्रा ने श्री चित्रगुप्त जी के अनुयायियों की भावनाओं को आहत किया है। इसलिए कायस्थ समाज से अनुरोध है कि वे उनके किसी भी आगामी कथा कार्यक्रम में भाग न लें।”
समुदाय में आक्रोश बरकरार
इस विवाद ने धार्मिक और सामाजिक स्तर पर बहस को जन्म दिया है। कायस्थम मध्यप्रदेश का यह कदम यह दर्शाता है कि धार्मिक कथावाचकों को जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए। समुदाय का आक्रोश यह संकेत देता है कि अब श्रोताओं की भावनाओं की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।