BY: Yoganand shrivastva
लखनऊ उत्तर प्रदेश सरकार ने विवाह पंजीकरण से संबंधित नियमों में महत्वपूर्ण संशोधन किया है। अब राज्य में शादी का रजिस्ट्रेशन कराना पहले की तुलना में अधिक सख्त और प्रमाणिक प्रक्रिया बन गया है। शादी को रजिस्टर्ड कराने के लिए अब सिर्फ दस्तावेज या तस्वीरें नहीं, बल्कि ठोस प्रमाण, जैसे विवाह का वीडियो और गवाह के रूप में विवाह संपन्न कराने वाले पंडित, मौलवी या पादरी को भी साथ लाना अनिवार्य कर दिया गया है।
रजिस्ट्रेशन के लिए अब जरूरी होंगे ये प्रमाण
सरकार द्वारा जारी नई गाइडलाइन के अनुसार:
- विवाह पंजीकरण के समय शादी करवाने वाले पंडित, मौलवी या पादरी की मौखिक गवाही जरूरी होगी।
- शादी का पूरा वीडियो दिखाना होगा और उसकी पेन ड्राइव भी कार्यालय में जमा करनी होगी।
- रजिस्ट्रेशन के समय वर या वधू के परिवार के किसी एक सदस्य की उपस्थिति भी जरूरी होगी।
नए नियमों की पृष्ठभूमि
यह बदलाव इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले – शनिदेव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार – के पालन में किया गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि शादी के फर्जी रजिस्ट्रेशन को रोकने के लिए प्रामाणिकता की प्रक्रिया को मजबूत किया जाए।
अब रजिस्ट्रेशन कहां होगा?
नई व्यवस्था के अनुसार:
- विवाह का रजिस्ट्रेशन अब उस स्थान की तहसील के सब रजिस्ट्रार कार्यालय में होगा जहां वर-वधू या उनके माता-पिता स्थायी रूप से निवास करते हैं, न कि शादी वाले स्थान पर।
क्या होगा अगर परिवार का कोई सदस्य मौजूद न हो?
यदि किसी कारण से परिवार का कोई सदस्य रजिस्ट्रेशन के समय मौजूद नहीं हो पाता, तो शादी करवाने वाले पंडित या धार्मिक अधिकारी को ही गवाह के रूप में उपस्थित रहना होगा। यह कदम शादी की वैधता को प्रमाणित करने के लिए उठाया गया है।
शादी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश में विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया आमतौर पर निम्न कानूनों के अंतर्गत होती है:
- हिंदू विवाह अधिनियम, 1955
- विशेष विवाह अधिनियम, 1954
रजिस्ट्रेशन की सुविधा ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से उपलब्ध है। इसके लिए सरकार की आधिकारिक वेबसाइट या तहसील स्तर के कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।