BY: Yoganand Shrivastva
मुंबई/नई दिल्ली। रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी को बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी धोखाधड़ी (Fraud) का आरोपी घोषित कर दिया है। इससे पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और बैंक ऑफ इंडिया (BOI) भी उन्हें फ्रॉड घोषित कर चुके हैं। यह कार्रवाई रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) से जुड़े कर्ज मामलों में हुई है।
बैंक ऑफ बड़ौदा का दावा: ₹1656 करोड़ बकाया
RCOM को बैंक ऑफ बड़ौदा की ओर से कुल ₹2,462.50 करोड़ का लोन और क्रेडिट लाइन उपलब्ध कराई गई थी। बैंक के अनुसार, 28 अगस्त तक ₹1,656.07 करोड़ का कर्ज अभी भी बाकी है। यह खाता 5 जून 2017 से NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) की श्रेणी में है।
लाइन ऑफ क्रेडिट एक ऐसा प्रावधान है, जिसमें उधारकर्ता तय सीमा तक जरूरत के अनुसार पैसा ले और चुका सकता है।
छापेमारी और जांच जारी
पिछले महीने 24 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस ग्रुप से जुड़े 50 कंपनियों और 35 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके बाद 23 अगस्त को CBI ने अनिल अंबानी के घर और रिलायंस कम्युनिकेशंस के दफ्तरों पर छापे मारे।
RCOM का पक्ष: “मामला पुराना, आरोप बेबुनियाद”
कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि यह विवाद 12 साल पुराना है। अनिल अंबानी 2006 से 2019 तक केवल नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहे और उनका कंपनी के दैनिक संचालन या निर्णयों से कोई सीधा संबंध नहीं था। कंपनी ने सभी आरोपों को खारिज किया है और कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही है।
रिलायंस पावर का कहना है कि बैंक ऑफ बड़ौदा की कार्रवाई से उनके व्यापारिक संचालन और वित्तीय प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि अनिल अंबानी तीन साल से ज्यादा समय से कंपनी के बोर्ड में नहीं हैं।
कानून का प्रावधान और दिवालिया प्रक्रिया
बैंकिंग नियमों के तहत, किसी खाते को फ्रॉड घोषित किए जाने के बाद मामला प्रवर्तन एजेंसियों को भेजा जाता है और पांच साल तक उस ग्राहक को नया फंड नहीं दिया जाता। मार्च 2025 तक RCOM पर कुल ₹40,400 करोड़ का कर्ज है और कंपनी 2019 से दिवालिया प्रक्रिया में है। 2020 में कर्जदाता समिति ने रेजोल्यूशन प्लान को मंजूरी दी थी, लेकिन मामला अभी अदालत में लंबित है।
CBI केस और व्यक्तिगत दिवालियापन
हाल ही में CBI ने RCOM के खिलाफ ₹2,929 करोड़ के बैंक फ्रॉड का केस दर्ज किया है। यह मामला SBI से जुड़े कर्ज विवाद से संबंधित है। इसके अलावा, अनिल अंबानी के खिलाफ व्यक्तिगत दिवालिया कार्यवाही भी मुंबई NCLT में चल रही है।
ED ने यस बैंक से लिए गए ₹3,000 करोड़ के लोन धोखाधड़ी मामले में भी ग्रुप के कई परिसरों पर छापेमारी की थी।