प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को उद्योगपति अनिल अंबानी से जुड़े 40 से 50 स्थानों पर छापे मारे। यह कार्रवाई ₹3000 करोड़ के यस बैंक लोन फ्रॉड केस में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत की गई है।
छापेमारी के मुख्य बिंदु:
- छापे अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों से जुड़े ठिकानों पर हुए।
- जांच का फोकस वर्ष 2017 से 2019 के बीच दिए गए लोन पर है।
- ED को शक है कि ये लोन शेल कंपनियों के जरिए डायवर्ट किए गए।
- भ्रष्टाचार और लोन प्रक्रिया में गड़बड़ियों के प्रमाण मिले हैं।
लोन घोटाले का पूरा मामला क्या है?
CBI और अन्य एजेंसियों का इनपुट
ED की यह कार्रवाई दो FIRs के आधार पर की गई, जो CBI ने दर्ज की थी। इसके अलावा SEBI, नेशनल हाउसिंग बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, और नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) ने भी इस मामले से जुड़े अहम इनपुट साझा किए थे।
कैसे हुआ ₹3000 करोड़ का घोटाला?
ED की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यस बैंक द्वारा 2017 से 2019 के बीच दिए गए लोन में से ₹3000 करोड़ से ज्यादा की राशि को शेल कंपनियों और संबंधित ग्रुप एंटिटीज में डायवर्ट किया गया।
क्या-क्या गड़बड़ियां सामने आईं?
❗ ED ने अपनी जांच में पाई ये गंभीर खामियां:
- बिना उचित ड्यू डिलिजेंस के लोन स्वीकृत।
- बैकडेटेड क्रेडिट दस्तावेजों का इस्तेमाल।
- कमजोर फाइनेंशियल बैकग्राउंड वाली कंपनियों को लोन।
- कई मामलों में लोन स्वीकृति से पहले ही रकम जारी कर दी गई।
- लोन की शर्तों का उल्लंघन और अकाउंट्स की एवरग्रीनिंग।
कौन-कौन है जांच के दायरे में?
- 50 से ज्यादा कंपनियां जांच के घेरे में हैं।
- 25 से अधिक व्यक्ति ED की रडार पर हैं।
- रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) पर भी SEBI ने रिपोर्ट दी है कि कंपनी की कॉर्पोरेट लोन बुक एक साल में दोगुनी हो गई थी।
किस कानून के तहत हो रही है कार्रवाई?
यह पूरी छानबीन मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 17 के तहत की जा रही है, जो जांच एजेंसियों को तलाशी और जब्ती का अधिकार देती है
अनिल अंबानी से जुड़े यस बैंक लोन फ्रॉड की जांच में ED ने जो रफ्तार पकड़ी है, वह आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासों की ओर इशारा कर रही है। लोन घोटाले में जिन कंपनियों और व्यक्तियों की भूमिका सामने आ रही है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।