BY: Yoganand Shrivastava
भोपाल | मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को फिर सुनवाई हुई। हालांकि सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। अब अदालत इस पर गुरुवार को बड़ा फैसला सुना सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि यह मामला राज्य की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट को वापस भेजा जा सकता है, क्योंकि राज्य की सामाजिक और प्रशासनिक स्थितियों की जानकारी हाईकोर्ट को अधिक होती है।
सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, मध्यप्रदेश के एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज और स्पेशल काउंसिल शशांक रतनू मौजूद थे।
मेहता ने कोर्ट से कहा कि इस मामले में कई तकनीकी पहलू हैं, जिन पर विस्तार से सुनवाई की आवश्यकता है, इसलिए समाधान के लिए कुछ वैकल्पिक रास्ते तलाशने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा – “वक्त बढ़ाने से समस्या और गहराएगी”
अदालत ने सरकार के समय मांगने पर नाराजगी जताते हुए कहा, “अगर आप बार-बार समय मांगेंगे, तो समस्या और बढ़ेगी। अगले हफ्ते दीवाली की छुट्टियां हैं, इसलिए देरी से केवल दिक्कतें ही बढ़ेंगी।”
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला पहले हाईकोर्ट में तय होना चाहिए, उसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट में अपील के रूप में आए।
छत्तीसगढ़ की तरह मिल सकती है अंतरिम राहत
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए कि मध्यप्रदेश को छत्तीसगढ़ की तरह अंतरिम राहत दी जा सकती है। हालांकि याचिकाकर्ताओं ने इसका विरोध किया। कोर्ट ने कहा कि वह कल इस पर विचार कर उपयुक्त निर्णय देगी।
“हाईकोर्ट राज्य की स्थिति बेहतर समझता है” – सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला राज्य की जनसंख्या, सामाजिक संरचना और आरक्षण की स्थिति से जुड़ा है। इसलिए इसे हाईकोर्ट में भेजना अधिक उचित होगा। अदालत ने कहा कि यह मामला “इंदिरा साहनी केस से जुड़ा हुआ जरूर है, लेकिन इसका केंद्र राज्य की परिस्थितियाँ हैं।”
ओबीसी महासभा के वकील ने सरकार की देरी पर जताई नाराजगी
ओबीसी महासभा की ओर से पेश हुए वकील वरुण ठाकुर ने कहा कि सरकार बार-बार समय मांग रही है, जिस पर अदालत ने असंतोष जताया। कोर्ट ने कहा कि “हमने इसे प्राथमिकता पर सूचीबद्ध किया, फिर भी तैयारी पूरी नहीं होती।”
ठाकुर के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि राज्य की जनसांख्यिकी और आरक्षण व्यवस्था को हाईकोर्ट बेहतर समझ सकता है, इसलिए मामला वहां भेजना ही अधिक उचित विकल्प हो सकता है।
कल आएगा फैसला
अब सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर गुरुवार को सुनवाई पूरी कर अंतिम निर्णय देगा। अदालत इस पर विचार कर रही है कि या तो मामला सीधे हाईकोर्ट को भेजा जाए, या फिर अंतरिम राहत देकर आगे की सुनवाई वहीं कराई जाए।