BY: Yoganand Shrivastava
जबलपुर | मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा को जमानत नहीं मिल सकी। शनिवार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जस्टिस प्रमोद अग्रवाल की बेंच ने 26 पन्नों के सुरक्षित रखे गए फैसले पर सुनवाई करते हुए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि आरोपी पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं, इसलिए उन्हें जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता।
4 फरवरी से न्यायिक अभिरक्षा में
सौरभ शर्मा इस वर्ष 4 फरवरी से जेल में हैं। इससे पहले उनकी जमानत याचिका भोपाल की निचली अदालत ने भी 24 अप्रैल 2025 को नामंजूर कर दी थी। हाईकोर्ट में यह याचिका 30 जुलाई को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था।
बचाव पक्ष की दलील
सुनवाई के दौरान शर्मा के वकील ने कोर्ट में कहा कि अब तक जो भी संपत्ति और पैसा मिला है, वह पूरी तरह उनके मुवक्किल का नहीं है। जिन संपत्तियों का उल्लेख ईडी ने किया है, उनका स्वामित्व अन्य लोगों के नाम पर है।
ईडी की ओर से तर्क
ईडी के अधिवक्ता विक्रम सिंह ने कोर्ट को बताया कि जांच में सामने आया है कि सौरभ शर्मा ने अवैध धन से कई संपत्तियां खरीदीं और उन्हें दोस्तों व रिश्तेदारों के नाम पर कर दिया। अब तक करीब 108 करोड़ रुपए की संपत्तियां अटैच की जा चुकी हैं। इसके अलावा हाल ही में खोले गए लॉकर से दो करोड़ रुपए मूल्य के सोने के आभूषण भी मिले हैं।
लोकायुक्त की कार्रवाई से खुलासा
यह मामला तब सामने आया जब लोकायुक्त टीम ने दिसंबर 2024 में सौरभ शर्मा के ठिकानों पर छापेमारी की थी। छापे के दौरान बड़ी मात्रा में बेनामी संपत्तियां और दस्तावेज बरामद हुए थे। इसके बाद ईडी ने सौरभ शर्मा, उनके परिजनों और करीब 12 अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।
कई एजेंसियों की जांच जारी
सौरभ शर्मा के खिलाफ ईडी, आयकर विभाग, लोकायुक्त और ग्वालियर पुलिस मिलकर जांच कर रही हैं। हाईकोर्ट ने शनिवार को साफ कहा कि मामले की गंभीरता और भारी भरकम अवैध संपत्ति को देखते हुए आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती।