BY: MOHIT JAIN
भारतीय वायुसेना का मिग-21 विमान आज 26 सितंबर, 2025 को 60 साल से अधिक सेवा देने के बाद रिटायर हो जाएगा। देश के पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमान के रूप में मिग-21 ने दशकों तक वायु सेना की ताकत को बढ़ाया। रिटायरमेंट का समारोह चंडीगढ़ में आयोजित किया गया, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर वायु सेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने मिग-21 के फ्लाईइंग फॉर्मेशन ‘बादल’ को फ्लाई किया। अब मिग-21 इतिहास का हिस्सा बन जाएगा, लेकिन इसकी विरासत भारतीय वायुसेना की ताकत के प्रतीक के रूप में सदैव याद रखी जाएगी।
मिग-21 की जगह कौन लेगा?

भारतीय वायुसेना ने अपने पुराने मिग-21 लड़ाकू विमानों को रिटायर करना शुरू कर दिया है। इससे स्क्वाड्रन संख्या अस्थायी रूप से कम हो जाएगी। तेजस विमान, जो भारत का स्वदेशी विकास है, धीरे-धीरे मिग-21 की जगह ले रहा है।
- वायुसेना के 45 नंबर स्क्वाड्रन – फ्लाइंग डैगर्स और 18 नंबर स्क्वाड्रन – फ्लाइंग बुलेट्स में तेजस पहले से ही शामिल हैं।
- जल्द ही तीसरा स्क्वाड्रन 3 नंबर स्क्वाड्रन – कोबरा राजस्थान के एयरबेस पर तैनात होगा। इसका मकसद पश्चिमी मोर्चे की सुरक्षा को और मजबूत करना है।
तेजस Mk1A: मिग-21 का आधुनिक उत्तराधिकारी
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अगले महीने नासिक उत्पादन केंद्र से पहला तेजस Mk1A विमान लॉन्च करेगा। यह तेजस का उन्नत संस्करण है जिसमें शामिल हैं:
- बेहतर रडार और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम
- उच्च स्तर की लड़ाकू क्षमता
- आत्मनिर्भरता बढ़ाने की क्षमता और विदेशी प्लेटफार्मों पर निर्भरता में कमी
तेजस Mk1A से वायुसेना का बेड़ा आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाएगा।
मिग-21 का गौरवशाली इतिहास

मिग-21 को रूस ने 1950 के दशक में विकसित किया था और भारत ने इसे 1963 में अपनाया। इसकी खासियत थी इसकी अद्भुत गति – मिग-21 ध्वनि की गति से तेज उड़ सकता है और मैक 2 तक पहुंच सकता है।
मिग-21 ने कई युद्धों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और 2019 में पाकिस्तानी F-16 को मात देने में भी यह सक्षम रहा। अब यह विमान भले ही रिटायर हो रहा है, लेकिन भारतीय वायुसेना में इसकी विरासत सदैव जीवित रहेगी।





