15 अगस्त 1947 – यह तारीख भारत के इतिहास में हमेशा सुनहरे अक्षरों में लिखी जाएगी। इस दिन आजादी का सपना साकार हुआ और देश का राष्ट्रीय तिरंगा पहली बार आधिकारिक रूप से फहराया गया।
लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि आजादी का पहला तिरंगा दिल्ली के लाल किले पर नहीं, बल्कि चेन्नई (तब मद्रास) में फहराया गया था। यह घटना अपने आप में बेहद खास और ऐतिहासिक है।
चेन्नई में हुआ पहला आधिकारिक ध्वजारोहण
15 अगस्त 1947 की सुबह लगभग 5:30 बजे, जब सूरज की पहली किरणें आसमान में फैल रही थीं, भारत का पहला आधिकारिक ध्वजारोहण फोर्ट सेंट जॉर्ज, चेन्नई में हुआ।
यह वही स्थान था जहां ब्रिटिश शासन का दक्षिण भारत में सबसे बड़ा मुख्यालय स्थित था।
- झंडे का आकार: 12 फीट लंबा और 8 फीट चौड़ा
- महत्व: ब्रिटिश शासन से भारतीय संप्रभुता का पहला प्रतीक
इस ऐतिहासिक क्षण के लिए तिरंगे को बेहद सावधानी और सम्मान के साथ फहराया गया। यह न सिर्फ स्वतंत्र भारत का प्रतीक था, बल्कि सदियों की गुलामी से मुक्ति का संदेश भी देता था।
आज भी संरक्षित है ऐतिहासिक तिरंगा
यह पहला तिरंगा आज भी चेन्नई के फोर्ट म्यूजियम में सुरक्षित रखा गया है। इसे खास कांच के एयरटाइट बॉक्स में रखा गया है और इसके संरक्षण के लिए आसपास सिलिका जेल का उपयोग किया गया है, ताकि यह समय के साथ खराब न हो।
लाल किले पर कब फहराया गया पहला तिरंगा?
आजादी के दिन प्रधानमंत्री के लाल किले से तिरंगा फहराने की परंपरा तो अब है, लेकिन 15 अगस्त 1947 को ऐसा नहीं हुआ था।
- उस दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली के प्रिंसेस पार्क (इंडिया गेट के पास) में तिरंगा फहराया।
- उसी रात उन्होंने संसद भवन में “ट्रिस्ट विद डेस्टिनी” का ऐतिहासिक भाषण दिया।
- लाल किले पर पहली बार तिरंगा 16 अगस्त 1947 को फहराया गया और तभी से यह परंपरा शुरू हुई।
भारत की आजादी की सुबह सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं थी, बल्कि पूरे देश में एक साथ स्वतंत्रता का जश्न मनाया गया।
चेन्नई में फहराया गया पहला तिरंगा इस बात का गवाह है कि आजादी की कहानी केवल एक शहर की नहीं, बल्कि पूरे देश की है।





