पश्चिम बंगाल की राजनीति और उद्योग जगत में हलचल तब बढ़ गई जब अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की। यह बैठक ₹25,000 करोड़ की ताजपुर बंदरगाह परियोजना को लेकर नई अटकलों को जन्म दे रही है।
ताजपुर बंदरगाह: पूर्वी भारत के लिए गेम-चेंजर
ताजपुर बंदरगाह को पश्चिम बंगाल के लॉजिस्टिक और व्यापार संपर्क के लिए एक संभावित परिवर्तनकारी परियोजना माना जा रहा है।
- यह प्रोजेक्ट पूर्वी भारत के रणनीतिक विकास में अहम भूमिका निभा सकता है।
- इसके जरिए राज्य में व्यापार और रोजगार के अवसरों में भारी वृद्धि की उम्मीद है।
- अडाणी ग्रुप पहले भी इस परियोजना में गहरी रुचि दिखा चुका है।
हालांकि, बैठक में हुई चर्चा की आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई। लेकिन सूत्रों का कहना है कि निवेश से जुड़े मुद्दों पर सकारात्मक माहौल में बातचीत हुई।
एक घंटे से ज्यादा चली अहम मुलाकात
गौतम अडाणी सोमवार शाम को पश्चिम बंगाल सचिवालय पहुंचे और ममता बनर्जी से एक घंटे से ज्यादा समय तक मुलाकात की।
- अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि राज्य सरकार ने अडाणी ग्रुप का पुराना टेंडर रद्द किया है या नहीं।
- 2021 के बाद यह उनकी ममता बनर्जी के साथ पहली मुलाकात है।
- 2022 के बंगाल वैश्विक व्यापार शिखर सम्मेलन (BGBS) में अडाणी ग्रुप ने 10,000 करोड़ रुपये निवेश की घोषणा की थी।
निवेश आकर्षित करने की रणनीति
यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब पश्चिम बंगाल सरकार बड़े निवेशकों को आकर्षित करने की कोशिशों में जुटी है।
- हाल ही में ममता बनर्जी ने टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन से भी मुलाकात की थी।
- साल 2023 में ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ रिपोर्ट आने के बाद यह अडाणी और ममता की पहली सीधी बातचीत थी।
- इस साल के अंत में होने वाले व्यवसाय एवं उद्योग सम्मेलन से पहले यह मीटिंग खास मायने रखती है।
ताजपुर बंदरगाह से जुड़ी उम्मीदें
ताजपुर बंदरगाह न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि पूरे पूर्वी भारत की अर्थव्यवस्था के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।
- प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत ₹25,000 करोड़ है।
- इसके पूरा होने पर राज्य में हजारों लोगों को रोजगार मिल सकता है।
- अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संपर्क मजबूत होने की संभावना है।